फॉलो-अप स्टोरीज़ के बारे में

फॉलो-अप स्‍टोरीज़ क्‍या है?

फॉलो-अप स्‍टोरीज़ ऐसी कहानियों के छपने की जगह है जो हमारी स्‍मृति से बाहर हो चुकी हैं जबकि उनके गहरे पड़ताल, जमीनी खोज और शोध की जरूरत थी जो उस वक्‍त नहीं हो सकी जब घटना सामने आई। कायदे से मीडिया को इन कहानियों की और छानबीन करनी थी, थोड़ा ठहर कर समय देना था, लेकिन समाचारों के तेज रफ्तार कारोबार में इन्‍होंने दम तोड़ दिया। उसके बाद क्‍या हुआ, हम नहीं जान पाए। फॉलो-अप स्‍टोरीज़ उसी खाली जगह को भरने का एक प्रयास है।

संक्षेप में कहें, तो जो कुछ भी बीच में अधूरा छूट गया, टूट गया, जिसे भुला दिया गया, जिसके साथ सही बरताव नहीं किया गया, जिसे पर्याप्‍त जगह नहीं दी गई और जिसकी अनदेखी कर दी गई, वह सब इस वेबसाइट के दायरे में आता है। बशर्ते वह मुद्दा या घटना ऐसी हो जिसमें लोगों की दिलचस्‍पी हो, जिससे लोगों का हित जुड़ा हो। यह कहानी ऐसी हो जो हमें अपने समाज और राजकाज के चलने की बेहतर समझदारी दे सके।

फॉलो-अप स्‍टोरीज़ आजादी, भाईचारा, बराबरी और इंसाफ के सार्वभौमिक मूल्‍यों में भरोसा करता है और उन्‍हें बढ़ावा देने वाली कहानियां ही छापने की मंशा रखता है।

इसे कौन चलाता है?

इसे चलाने वाले हिंदी के पेशेवर कहानीबाज, किस्‍सागो, पत्रकार, लेखक और कथावाचक हैं, चाहे आप जिस नाम से पुकार लें। ये ऐसे प्रतिबद्ध लोगों का समूह है जिनकी निगाह उन घटनाओं और खबरों पर रहती है जो छूट गई हों, जिन्‍हें सुनाने में कंजूसी बरती गई हो या जो किन्‍हीं कारणों से अधूरी रह गई हों। ये लोग यायावर हैं जो आपके लिए घूम-घूम कर कहानियां बटोर लाने का काम करते हैं।

यहां आपको क्‍या मिलेगा?

फौलो-अप स्‍टोरीज़ पर आपको तमाम किस्‍म की दिलचस्‍प कहानियां एक सिनेमाई शक्‍ल में मिलेंगी। उनमें तस्‍वीरें होंगी, वीडियो होंगे और तमाम मल्‍टीमीडिया तत्‍व जरूरत के हिसाब से शामिल होंगे। इन तत्‍वों की बुनावट से एक अफसाना रचा गया होगा। कहन की रफ्तार काफी धीमी हो सकती है। रंग-बिरंगी चमकती-दमकती बत्तियों वाली इस दुनिया में हमारे पास एक पुरानी टॉर्च है और उसे चमकाने के लिए एक अंधेरा कोना। समाज, राजनीति, संस्‍कृति, धन-दौलत, विचार-विमर्श और नए-पुराने फलसफों में छुपा हुआ कोई भी अंधेरा कोना कभी भी यहां सुर्खरू हो सकता है।

हमें आपसे क्‍या उम्‍मीद है?

फॉलो-अप स्‍टोरीज़ अपने लिए एक ऐसे पाठक की अपेक्षा रखता है जो धीमी गति का हो लेकिन सुस्‍त न हो। यानी एक ऐसा पाठक जिसे पढ़ने के लिए दाएं-बाएं ऊपर-नीचे थोड़ा ज्‍यादा चाहिए, जो बाजार में उपलब्‍ध चालू नुस्‍खों से पार जाने को बेताब हो।

कोई सवाल है? हमें इस ईमेल पर लिखें: followupstories@gmail.com