Politics

Vijayadashmi celebrations of RSS in Nagpur, 2023

निन्यानबे का फेर : फीकी रामनवमी, कम मतदान और भागवत बयान की चुनावी गुत्‍थी

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आरएसएस का शताब्‍दी वर्ष समारोह न मनाने का सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान पहले चरण के मतदान से ठीक पहले आया। तब से दो चरण हिंदी पट्टी में ठंडे गुजर चुके हैं। रामनवमी के जुलूसों से भी चुनाव में गर्मी नहीं आ सकी क्‍योंकि राम मंदिर अब लोगों के आत्‍मसम्‍मान का सवाल नहीं रहा। भगवान अब टेंट में नहीं हैं। तो क्‍या संघ इस लोकसभा चुनाव में बैठ गया है? और क्‍या भाजपा को राम मंदिर का बन जाना पच नहीं पा रहा कि मोदी लौट-लौट कर अयोध्‍या जा रहे हैं? अमन गुप्‍ता की रिपोर्ट

Fire at landfill site of Ghazipur on Delhi-UP border

पश्चिमी यूपी, दूसरा चरण: कचरे में आग लग चुकी है, फैलते धुएं में आठ क्षेत्रों का सीटवार आकलन

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पहले चरण के कम मतदान प्रतिशत ने अचानक सभी राजनीतिक दलों को सक्रिय कर दिया है। दोनों तरफ से पारा चढ़ाया जा रहा है। संघ प्रमुख से लेकर मुख्‍य न्‍यायाधीश तक को सौ परसेंट मतदान की अपील करनी पड़ रही है तो भाजपा का पुराना खमीर सतह पर आ चुका है। ऐसे में उत्‍तर प्रदेश की अगली आठ सीटों का मुकाबला दिलचस्‍प हो गया है। माजिद अली खान बता रहे हैं सीटवार हिसाब

Protest against Agnipath Scheme in Rajasthan

एक दर्जन ‘अग्निपथ’ : राजस्थान के पहले चरण में भाजपा के खिलाफ लड़ रहे हैं किसान और जवान

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कुछ महीने पहले राजस्‍थान में कांग्रेस को उखाड़ के बनी भाजपा की सरकार इस लोकसभा चुनाव में फंसी हुई दिखती है। खासकर पहले चरण की 12 सीटों पर किसान और जवान अपने-अपने मुद्दों को लेकर साथ आ गए हैं और शेखावटी की जमीन भाजपा के लिए तप रही है। चुनाव प्रचार के आखिरी पलों तक इस इलाके पर नजर रखने वाले मनदीप पुनिया की सीट दर सीट मुकम्‍मल रिपोर्ट

Loksabha Elections 2024 Phase 1 Western UP

पश्चिमी यूपी, पहला चरण : आठ सीटों पर मुस्लिम वोटों का बिखराव ही तय करेगा भाजपा की किस्मत

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पहले चरण के मतदान में अब केवल तीन दिन बचे हैं लेकिन पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में चुनाव खड़ा नहीं हो पाया है। हालात ये हैं कि यहां समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की पहली साझा प्रेस कॉन्‍फ्रेंस और प्रियंका गांधी की जनसभा प्रचार के आखिरी दिन प्रस्‍तावित है। यहां की आठ सीटों में अधिकतर पर किसी न किसी तीसरी ताकत ने विपक्षी गठबंधन और भाजपा दोनों को असमंजस में डाल रखा है। लिहाजा, वोटर बिलकुल खामोश है और प्रेक्षक भ्रमित। यूपी में पहले चरण का सीट दर सीट तथ्‍यात्‍मक आकलन वरिष्‍ठ पत्रकार माजिद अली खान की नजर से

Symbol of BJP painted on childran's face

अमेरिका से लेकर भारत तक अपने नेता के साये में जॉम्बी बनते राजनीतिक दल

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अपनी राजनीतिक पार्टी की मशीनरी को पूरी तरह हाइजैक कर लेना तानाशाहों में तब्‍दील हो रहे तमाम लोकप्रिय नेताओं का शगल बन चुका है। डोनाल्‍ड ट्रम्‍प अकेले ऐसे दक्षिणपंथी नेता नहीं हैं जिन्‍होंने अपनी पार्टी को अपनी मनमर्जी के अधीन कर डाला है। हंगरी, नीदरलैंड्स, फ्रांस से लेकर भारत तक सूची लंबी है। इतिहास गवाह है कि देश में निरंकुश शासन लगाने की ओर पहला तार्किक कदम पार्टी का आंतरिक लोकतंत्र खत्‍म कर के उसे तानाशाही में बदलना होता है। राजनीतिक दर्शन के विद्वान यान-वर्नर म्‍यूलर की टिप्‍पणी

लोकसभा चुनाव की निगरानी: परदा उठने से पहले एक अरब मतदाताओं के लिए बस एक सवाल

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आगामी लोकसभा चुनावों की निगरानी के लिए एक स्‍वतंत्र पैनल (आइपीएमआइई) बना है। इसकी परिकल्‍पना पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एमजी देवसहायम ने की है। इस पैनल में लोकतंत्र, राजनीति विज्ञान, चुनाव प्रबंधन और चुनावी निगरानी तक विभिन्‍न क्षेत्रों के अंतरराष्‍ट्रीय ख्‍याति-प्राप्‍त शख्सियतें शामिल हैं। पैनल का उद्देश्‍य चुनावों पर निगाह रखना, रिपोर्ट प्रकाशित करना और चिंताएं जाहिर करना है ताकि आम चुनाव 2024 निष्‍पक्ष, स्‍वतंत्र, पारदर्शी तथा लोकतंत्र के सिद्धांतों के अनुकूल रहे जिससे भारत के नागरिकों के मताधिकार की सुरक्षा की जा सके। स्‍वतंत्र पैनल की पृष्‍ठभूमि खुद एमजी देवसहायम की कलम से

Hitler fiddling with globe, a scene from The Great Dictator

क्या 2024 पूरी दुनिया में ‘कब्जे का वर्ष’ है? क्या 1933 खुद को दोहरा रहा है?

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1933 में अडॉल्‍फ हिटलर की सत्‍ता का उदय आज 2024 में कहीं ज्‍यादा प्रासंगिक हो चुका है। दुनिया का ज्‍यादातर हिस्‍सा इस साल निर्णायक चुनावों में जा रहा है। दुनिया की आधी आबादी अपनी किस्‍मत का फैसला अपने वोट से करने जा रही है। चेतावनी के संकेत यहां-वहां बिखरे पड़े हैं, लेकिन कुछ जानकार खुलकर अब कह रहे हैं कि लिबरल जनतंत्र चुनावी दांव पर लग चुका है। इतिहासकार मार्क जोन्‍स की महत्‍वपूर्ण टिप्‍पणी

कर्पूरी ठाकुर : न्याय की आस और हक के संघर्ष में बिसर गया एक नैतिक जीवन

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जिस शख्‍स को उसकी जन्‍मशती पर जाकर भारत रत्‍न का सम्‍मान मिला है, उसकी मौत आज तक रहस्‍य बनी हुई है। न सिर्फ मौत, बल्कि जिंदगी भर कर्पूरी ठाकुर ने अपने और अपने न्‍यायपूर्ण सरोकारों के हक में जो लड़ाइयां लड़ीं, उनमें से कई अंजाम तक नहीं पहुंचने दी गईं और पहुंची भी हों तो नतीजा कोई नहीं जानता। बिहार में बतौर मुख्‍यमंत्री और विपक्ष के नेता रहते हुए कर्पूरी ठाकुर के लिए फैसले, दायर मुकदमों और छेड़े गए संघर्षों पर डॉ. गोपाल कृष्‍ण की विस्‍तृत नजर

अयोध्या के युद्ध में: साधु और शैतान के बीच फंसा भगवान

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अयोध्‍या अपने गुण और नाम के विपरीत लंबे अरसे से युद्ध में मुब्तिला है। यहां भगवान और जमीन के नाम पर होने वाली हत्‍याओं का सिलसिला बहुत पुराना है। कहते हैं कि दो सौ से ज्‍यादा साधु यहां मारे जा चुके हैं। सरकारी अधिकारी भी, कोर्ट द्वारा नियुक्‍त पुजारी भी। राम मंदिर ट्रस्‍ट के कर्ताधर्ता भी हमलों से अछूते नहीं रहे। कुछ भले लोग भी मारे गए, जिन्‍होंने जरूरी सवाल पूछे थे। अयोध्‍यावासी तो खुशी और डर के मारे आज चुप हैं, लेकिन यहां गड़े मुर्दे लगातार सवाल पूछ रहे हैं। धर्म, जमीन और जरायम के आपराधिक गठजोड़ पर अयोध्‍या रहकर लौटे अमन गुप्‍ता की फॉलो-अप रिपोर्ट

‘महुआ दीदी चुप नहीं बैठेंगी!’ अपनी महिला सांसद के निष्कासन पर गरमा रहा है बंगाल

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महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित किए जाने के बाद समूचा राजनीतिक विपक्ष तो इस कदम का विरोध कर ही रहा है, वहीं समूचे बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन भी जारी है। बंगाल के आम लोग भी इस कदम को भाजपा का राजनीतिक बदला बता रहे हैं। राजधानी कोलकाता से लेकर बंगाल के गांव-कस्‍बों में सार्वजनिक स्थानों पर चल रही सियासी चर्चाओं का हाल बता रहे हैं नित्‍यानंद गायेन