फॉलो-अप स्टोरीज़ के लिए लिखें

फॉलो-अप स्‍टोरीज़ को क्‍या चाहिए?

फॉलो-अप स्‍टोरीज़ ऐसी कहानियां छापता है जिनका कुछ मतलब हो- मतलब यानी जो आज भी प्रासंगिक हों, समय-सीमा में बंधी न हों, किसी समकालीन या पुरानी घटना पर आधारित हों। ऐसी कहानियां, जो अपने शिल्‍प और अपने तत्‍व की ताकत से भीड़ के बीच अलग जगह बनाने में सक्षम हों और मुख्‍यधारा के मीडिया के लिए एक एजेंडा सेट कर सकें ताकि वह उन अफसानों पर लौट सके जिन्‍हें उसने जल्‍दबाजी में बीच में ही छोड़ दिया था। जाहिर है, ये कहानियां राजनीति, संस्‍कृति, विचार-विमर्श और धन-दौलत से जुड़े विषयों से जुड़ी हो सकती हैं।   

यहां कौन लिख सकता है?

हमें हिंदी के ऐसे लेखकों की तलाश है जो जनसामान्‍य की दिलचस्‍पी, हितों और सरोकार के मसलों पर दिल थाम लेने वाली गहरी कहानियां लिख सकें। अगर आपको लगता है कि आपके पास ऐसी कोई कहानी है तो आप यहां उसे प्रस्‍तावित कर सकते हैं।

हमें क्‍या नहीं चाहिए?

  • प्रेस विज्ञप्ति, ठस अकादमिक परचे, शोध प्रबंध, संस्‍थानों की रिपोर्ट, श्‍वेत पत्र, इत्‍यादि
  • सपाट आलेख, विषयों पर पक्ष या विपक्ष वाली टिप्‍पणी
  • केवल लेखन के लिए लेखन
  • विज्ञापन, या ऐसा कुछ भी जिसके पीछे पैसा लगा हो
  • अंतर्विरोधों, सतहों, गति और पड़ताल से रहित ठंडी कहानियां
  • परंपरागत पुस्‍तक/फिल्‍म समीक्षा, सेलिब्रिटी के साक्षात्‍कार (अपवाद संभव)
  • डेटा आधारित स्‍टोरी, तथ्‍यान्‍वेषी रपटें
  • पुस्‍तक अंश (जब तक कि एक्‍सक्‍लूसिव और अप्रकाशित न हो)  

लिखना चाहते हैं? तो ऐसे शुरू करें

आप जो स्‍टोरी या रिपोर्ट करना चाहते हैं, उसका सार अधिकतम 250 शब्‍दों में लिख कर followupstories@gmail.com पर भेजें। ध्‍यान रहे कि इस सार में कहानी की प्रासंगिकता के तत्‍व, गतिमानता, सतहें और ट्रीटमेंट यानी कहानी कैसे आगे बढ़ेगी और कहां पहुंचेगी, सब कुछ रेखांकित हो। साथ में अपना छोटा सा परिचय भी भेजें। हमारी संपादकीय टीम आपके प्रस्‍ताव पर मंथन करेगी और आपसे संपर्क करेगी।