Environment

देहरादून से चला सरकारी आदमी जोशीमठ कितने महीने में पहुंच सकता है?

by

चार महीने पहले जोशीमठ से खबरें आना बंद हो गई थीं। उत्‍तराखण्‍ड के मुख्‍यमंत्री ने आश्‍वासनों का पुलिंदा स्‍थानीय लोगों के आंदोलन पर देकर मारा था। धरना उम्‍मीद में उठ गया था। अब लोगों का सरकार से भरोसा ही उठ गया है क्‍योंकि एक अदद पुनर्वास कार्यालय खोलने के लिए राजधानी से चली इमदाद अब तक जोशीमठ नहीं पहुंची है। इस बीच लोग अपने टूटे मकानों में मजबूरन लौट कर पाताल में धंसने की बाट जोह रहे हैं। जोशीमठ से लौटे शिवम भारद्वाज की फॉलो-अप रिपोर्ट

खंड-खंड उत्तराखंड: ‘विकास’ की राजनीति बनाम विज्ञान के सवाल पर कब बात होगी?

by

इस साल की शुरुआत में उत्‍तराखंड के जोशीमठ में जिस बड़े पैमाने पर अचानक भूधंसान देखा गया और मकानों में दरारें आईं, उससे किसी ने कुछ नहीं सीखा। पानी बरसा तो ऑल वेदर सड़कें धंसीं, पहाड़ दरके, बाढ़ आई, लोगों को फिर पलायन करना पड़ा। चारधाम की यात्रा कितनी बार बाधित हुई, इसका हिसाब नहीं है। क्‍या पहाड़ों के विकास मॉडल पर अब भी बात नहीं होगी?

कोरोना की आड़ में फिर से जागा रद्द कचरा संयंत्र, इंसानी त्रासदी के मुहाने पर भोजपुर

by

दस साल पहले बिहार में शुरू हुआ एक कचरा संयंत्र जनता के आंदोलन और प्रदूषण बोर्ड की नामंजूरी के कारण बंद हो चुका था। लोगों ने चैन की सांस ली ही थी कि कोविड में चुपके से इस पर दोबारा काम शुरू हो गया। आज जनता फिर से आक्रोशित है। कोईलवर प्रखंड के जमालपुर गांव से होकर आई पीयूसीएल की जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट 23 जुलाई को जारी की है। इस रिपोर्ट के प्रमुख अंश

नरसिंहपुर का चुनावी बांध: यहां विरोध मना है क्योंकि परियोजना का बनना तय है

by

एक बांध परियोजना, जिसे सात साल पहले कई कारणों से बंद कर दिया गया था, कोरोनाकाल में दोबारा शुरू की गई। मध्य प्रदेश के तीन जिलों के सौ से ज्यादा गांव आज डूब की जद में हैं, लेकिन प्रशासन मौन है। नरसिंहपुर से ब्रजेश शर्मा सुना रहे हैं विकास की एक नई कहानी