धरती को बचाने के नाम पर सियासत और पूंजी का हरा-भरा गठजोड़
पूंजीवाद के इस दौर में सार्वजनिक समस्याओं के समाधानों की विडम्बना यह है कि जिसने बीमारी पैदा की है दवा भी वही दे रहा है। वह बीमारी से भी पैसा कमा रहा है और दवा से भी। पूंजीवाद के फैलाये प्रदूषण से नष्ट हो रही धरती के लिए पूंजीपतियों द्वारा पैदा किया गया हरित पूंजीवाद का नुस्खा ऐसा ही टोटका है, जो जलवायु परिवर्तन के अपराधबोध से नागरिकों को भर के उन्हीं की जेब लूटता है। सरल शब्दों में आलोक राजपूत का विश्लेषण