पलायन का मौसम फिर आ गया, खेतिहर मजदूरों का सवाल किसान आंदोलन में कब आएगा?
जनवरी खत्म होते ही उत्तरी महाराष्ट्र के गांवों के बस स्टैंड दोबारा गुलजार होने लगते हैं। एक ओर दिल्ली की सरहद पर किसान एमएसपी की मांग के लिए आमरण अनशन कर रहे हैं तो दूसरी ओर खेतिहर मजदूर अगले पांच महीनों की बेरोजगारी, पलायन और दिहाड़ी के लिए कमर कस रहे हैं। कृषि संकट के समाधानों में एमएसपी केवल एक मसला है, लेकिन सारा आंदोलन इसी के इर्द-गिर्द क्यों? जनवरी से जून तक खाली रहने वाले खेतिहर मजदूरों को राजनीति और किसान आंदोलन के विमर्श में कब लाया जाएगा? जलगांव से लौटकर हरेराम मिश्र की रिपोर्ट