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संघ-भाजपा समन्वय सूत्र : सत्ता सर्वोपरि, हिन्दुत्व बोले तो वक्त की नजाकत और पब्लिक का मूड!

आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत चार-छह महीने के अंतराल पर बौद्धिक कसरत के लिए कोई न कोई बयान दे देते हैं। आम चुनाव के दौरान संघ पर भाजपा की निर्भरता खत्‍म होने संबंधी जेपी नड्डा के औचक बयान के बाद बयानबाजियों और अटकलबाजियों का जो सिलसिला शुरू हुआ, उसमें संघ-भाजपा के परस्‍पर शक्ति संतुलन को लेकर अजीबोगरीब निष्‍कर्ष निकाले गए। बावजूद इसके, भाजपा चुनाव जीतती गई। केवल उत्‍तर प्रदेश अपवाद रहा, जहां के संभल के संदर्भ में भागवत का एक बयान लंबे समय बाद आया है और संघ-भाजपा के रिश्‍तों पर फिर से पहेलियां बुझायी जा रही हैं। ‘आत्‍मनिर्भर भाजपा’ शीर्षक से 27 मई को लिखे अपने लेख का ‍सिरा पकड़ कर व्‍यालोक ने एक बार फिर इस मसले को नई रोशनी में देखने की कोशिश की है

Narendra Modi and Mohan Bhagwat

आत्मनिर्भर भाजपा : क्या नाक से बड़ी हो चुकी है नथ?

भाजपा अब अपने बूते काम करने में समर्थ है और आरएसएस पर उसकी निर्भरता नहीं रही- सत्‍ताधारी पार्टी का अध्‍यक्ष अपनी मातृ संस्‍था पर ऐसा बयान देकर निकल जाए और देश में कहीं चूं तक न हो? ऐसा ही बयान यदि कांग्रेस अध्‍यक्ष ने गांधी परिवार के बारे में दिया होता तो विवाद की सहज कल्‍पना की जा सकती है। क्‍या हैं इस बयान के निहितार्थ? संघ-भाजपा के रहस्‍यमय रिश्‍तों पर व्‍यालोक की पड़ताल