Aristotle

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भ्रमित नैतिकता और खंडित नागरिकता के इस दौर में अरस्तू कैसे प्रासंगिक हैं

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एक अच्‍छे जीवन का मतलब क्‍या होता है, इस पर विचार करते हुए अरस्‍तू ने एक रूपरेखा प्रस्‍तुत की थी। नैतिक्र भ्रम और नागरिक विखंडन के हमारे दौर के लिए वह रूपरेखा बहुत प्रासंगिक है। उन्‍होंने पहले ही देख लिया था कि हमारे बीच उभरने वाले तमाम मतभेदों के मूल में दरअसल उद्देश्‍य, आपसदारी और प्रतिष्‍ठा की एक साझा आस छुपी हुई है। इक्‍कीसवीं सदी के इनसानी, समाजी और सियासी संकट पर अरस्‍तू के यहां से एक वैचारिक और व्‍यावहारिक रास्‍ता बता रही हैं अंतरा हालदर