Morality

Pope Francis

अर्थशास्त्र की रोगग्रस्त आत्मा के ‘पापमोचन’ का आह्वान करने वाला एक धर्माचार्य

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कैथोलिक चर्च के सबसे बड़े धमार्चार्य पोप फ्रांसिस का बीते 21 अप्रैल को निधन हो गया। उनके 12 साल लंबे कार्यकाल का एक कम उजागर पक्ष उनके बदलावकारी आर्थिक विचारों में जाहिर होता है, जहां वे मौजूदा दुनिया को चलाने वाले आर्थिक विचार को गरीबों का हत्‍यारा करार देते हैं और अर्थशास्त्रियों से लोकमंगल के लिए काम करने का आह्वान करते हैं। पर्यावरण संकट से लेकर सामाजिक असमानता तक सबकी जड़ अर्थशास्‍त्र में देखने वाले फ्रांसिस की आर्थिक आलोचना पर अंतरा हालदर की टिप्‍पणी

Aristotle

भ्रमित नैतिकता और खंडित नागरिकता के इस दौर में अरस्तू कैसे प्रासंगिक हैं

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एक अच्‍छे जीवन का मतलब क्‍या होता है, इस पर विचार करते हुए अरस्‍तू ने एक रूपरेखा प्रस्‍तुत की थी। नैतिक्र भ्रम और नागरिक विखंडन के हमारे दौर के लिए वह रूपरेखा बहुत प्रासंगिक है। उन्‍होंने पहले ही देख लिया था कि हमारे बीच उभरने वाले तमाम मतभेदों के मूल में दरअसल उद्देश्‍य, आपसदारी और प्रतिष्‍ठा की एक साझा आस छुपी हुई है। इक्‍कीसवीं सदी के इनसानी, समाजी और सियासी संकट पर अरस्‍तू के यहां से एक वैचारिक और व्‍यावहारिक रास्‍ता बता रही हैं अंतरा हालदर