अर्थशास्त्र की रोगग्रस्त आत्मा के ‘पापमोचन’ का आह्वान करने वाला एक धर्माचार्य
कैथोलिक चर्च के सबसे बड़े धमार्चार्य पोप फ्रांसिस का बीते 21 अप्रैल को निधन हो गया। उनके 12 साल लंबे कार्यकाल का एक कम उजागर पक्ष उनके बदलावकारी आर्थिक विचारों में जाहिर होता है, जहां वे मौजूदा दुनिया को चलाने वाले आर्थिक विचार को गरीबों का हत्यारा करार देते हैं और अर्थशास्त्रियों से लोकमंगल के लिए काम करने का आह्वान करते हैं। पर्यावरण संकट से लेकर सामाजिक असमानता तक सबकी जड़ अर्थशास्त्र में देखने वाले फ्रांसिस की आर्थिक आलोचना पर अंतरा हालदर की टिप्पणी