Indira Gandhi

‘इमरजेंसी’ आधी सदी बाद भी दबंग शासकों के लिए आईना क्‍यों है? एक निस्‍संग किताब से कुछ सबक

इस साल प्रकाशित श्रीनाथ राघवन की इंदिरा गांधी पर लिखी किताब एक ओर सत्ता के काम करने के तरीके उजागर करती है, तो दूसरी तरफ आज के शासकों को चेतावनी भी देती है। पचास साल पहले इस देश में इमरजेंसी लगाने वाली युद्धोत्‍तर काल की पहली दबंग शासक इंदिरा गांधी पर आज की तारीख में कहानी कहना लोकतंत्र की उस नजाकत को उभारने जैसा काम है, जिसका मूल सबक यह है कि लोकतांत्रिक परिवर्तन और पतन दोनों एक ही राह के हमजोली होते हैं। ‘’इंदिरा गांधी ऐंड द ईयर्स दैट ट्रांसफॉर्म्‍ड इंडिया’’ पर अंतरा हालदर की समीक्षा

Pope Francis

अर्थशास्त्र की रोगग्रस्त आत्मा के ‘पापमोचन’ का आह्वान करने वाला एक धर्माचार्य

कैथोलिक चर्च के सबसे बड़े धमार्चार्य पोप फ्रांसिस का बीते 21 अप्रैल को निधन हो गया। उनके 12 साल लंबे कार्यकाल का एक कम उजागर पक्ष उनके बदलावकारी आर्थिक विचारों में जाहिर होता है, जहां वे मौजूदा दुनिया को चलाने वाले आर्थिक विचार को गरीबों का हत्‍यारा करार देते हैं और अर्थशास्त्रियों से लोकमंगल के लिए काम करने का आह्वान करते हैं। पर्यावरण संकट से लेकर सामाजिक असमानता तक सबकी जड़ अर्थशास्‍त्र में देखने वाले फ्रांसिस की आर्थिक आलोचना पर अंतरा हालदर की टिप्‍पणी

Aristotle

भ्रमित नैतिकता और खंडित नागरिकता के इस दौर में अरस्तू कैसे प्रासंगिक हैं

एक अच्‍छे जीवन का मतलब क्‍या होता है, इस पर विचार करते हुए अरस्‍तू ने एक रूपरेखा प्रस्‍तुत की थी। नैतिक्र भ्रम और नागरिक विखंडन के हमारे दौर के लिए वह रूपरेखा बहुत प्रासंगिक है। उन्‍होंने पहले ही देख लिया था कि हमारे बीच उभरने वाले तमाम मतभेदों के मूल में दरअसल उद्देश्‍य, आपसदारी और प्रतिष्‍ठा की एक साझा आस छुपी हुई है। इक्‍कीसवीं सदी के इनसानी, समाजी और सियासी संकट पर अरस्‍तू के यहां से एक वैचारिक और व्‍यावहारिक रास्‍ता बता रही हैं अंतरा हालदर

COVID के भुला दिए गए सबक और नए साल में आसन्न खतरों की फेहरिस्त

पांच साल पहले भी नया साल आया था, लेकिन एक वायरस के साये में और दो-तीन महीने के भीतर पूरी दुनिया सिर के बल खड़ी हो गई। अरबों लोग घरों में कैद हो गए। लाखों लोग घर पहुंचने के लिए सड़कें नापते-नापते हादसों की भेंट चढ़ गए। संस्‍थाएं पंगु हो गईं। व्‍यवस्‍थाएं चरमरा गईं। हमारी कोई तैयारी ही नहीं थी एक अदद वायरस से निपटने के लिए, जबकि आने वाला समय ऐसे ही तमाम और वायरसों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, भूराजनीतिक टकरावों और जलवायु परिवर्तन के सामने निहत्‍था खड़ा है।