Zohran Mamdani

ममदानी की जीत : वामपंथ के लिए कुछ करने और बड़ी तस्वीर पर सोचने का यह वक्त है!

ट्रम्‍प के राज वाले अमेरिका में उनके मुखर विरोधी और उग्र बदलावकारी राजनीति के नारे देने वाले एक युवा ज़ोहरान ममदानी के न्‍यू यॉर्क शहर का मेयर बन जाने पर दुनिया भर में चर्चा हो रही है। ममदानी की इस उपलब्धि में अमेरिका के ट्रम्‍प समर्थक कामगारों और किसानों के लिए क्‍या कोई राजनीतिक संभावना छुपी है, जो पहले ही सत्ता से हताश चल रहे हैं? ममदानी अगर उस दिशा में कुछ करें, तो उन्‍हें सबसे बड़ा खतरा किससे होगा? प्रोजेक्‍ट सिंडिकेट के सौजन्‍य से ज़ीज़ेक का आकलन

Serbia Protests

सर्बिया : एक रेल हादसा, दो दर्जन मौतें, और आज पूरा देश निरंकुश सरकार के खिलाफ सड़क पर है…

दिल्‍ली में रेलवे स्‍टेशन पर हुई भगदड़ में दो दर्जन से ज्‍यादा लोगों की मौत हुई है। भारत के रेलमंत्री ने औपचारिक अफसोस जताकर स्थिति को नियंत्रण में बता दिया है। तकरीबन ऐसा ही हादसा नवंबर में सर्बिया में हुआ था और इतने ही लोग मरे थे। पूर्व मंत्री सहित तेरह लोगों पर मुकदमा भी चला, इसके बावजूद सर्बिया के लोगों ने सड़क का रुख किया तो छात्रों के नेतृत्‍व में शुरू हुआ विरोध पूरे देश में आंदोलन बनकर फैल गया। लोकतांत्रिक संस्‍थाओं को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने की लड़ाई में सर्बिया से उठे नए किस्‍म के जनउभार पर स्‍लावोइ ज़ीज़ेक

Fredric Jameson

फ्रेडरिक जेमसन: पुरानी दुनिया और नए युग के वैचारिक जगत को जोड़ने वाला अंतिम सिरा

आज से बीसेक दिन पहले फ्रेडरिक जेमसन शायद इकलौते जीवित शख्‍स थे जिन्‍होंने एक सदी के दौरान बदलती हुई हमारी दुनिया को न सिर्फ देखा और महसूस किया था, बल्कि राजनीति, वैचारिकी, संस्‍कृति से लेकर बौद्धिकता के विभिन्‍न क्षेत्रों में हुए बदलावों की सघन पड़ताल करते हुए विपुल लेखन भी किया। वे पुरानी और नई दुनिया के बीच एक वैचारिक पुल थे, जो बीते 22 सितंबर को चल बसे। इस दुनिया को दिए उनके वैचारिक योगदान के आईने में प्रतिष्ठित दार्शनिक स्‍लावोइ ज़ीज़ेक ने उन्‍हें याद किया है। ज़ीज़ेक का जेमसन पर लिखा स्‍मृतिलेख यहां अविकल प्रस्‍तुत है

Marine Le Pen

यूरोप चुनाव: बढ़ते मसखरों के बीच नए फासिस्‍टों का मंडराता साया

इस महीने यूरोपीय संसद के लिए हुए चुनावों के बाद अब मुख्‍यधारा के राजनीतिक दल और नेता धुर दक्षिणपंथ के साथ एक नाव में सवार होने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। इस तरह, दूसरे विश्‍व युद्ध के बाद यूरोप के लोकतांत्रिक देशों द्वारा ‘फासिस्‍टों से गठजोड़ न करने’ के अपनाए गए सिद्धांत को चुपके से तिलांजलि दे दी गई है। अब यूरोप को फासिस्‍ट कुबूल हैं। प्रोजेक्‍ट सिंडिकेट के साथ फॉलो-अप स्‍टोरीज की विशेष व्‍यवस्‍था के तहत प्रतिष्ठित चिंतक स्‍लावोइ ज़ीज़ेक का विश्‍लेषण