Bharat Mata imagery of RSS

हिन्दुत्व के कल्पना-लोक में स्त्री और RSS के लिए उसके अतीत से कुछ सवाल

मध्ययुग में पश्चिमी जगत में आधुनिकता के आगमन ने धर्म के वर्चस्व को जो चुनौती दी थी, भारत में अंग्रेजों के आगमन के बाद पैदा हुई परिस्थितियों और राजनीतिक आजादी ने यहां धर्म के प्रभाव को और अधिक सीमित कर दिया। रूढ़िवादी, प्रतिक्रियावादी ताकतों ने समय-समय पर इस बदलाव को बाधित करने की कोशिश की। संविधान निर्माण से लेकर स्त्रियों को अधिकार-संपन्न करने के लिए ‘हिन्‍दू कोड बिल’ को सूत्रबद्ध एवं लागू किए जाने का हिन्दुत्ववादी ताकतों ने जिस तरह से विरोध किया, ऐसी ही बाधाओं का ही परिणाम रहा कि डॉ. आंबेडकर को नेहरू के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा। सुभाष गाताड़े का यह आलेख संविधान-निर्माण के दौरान स्पष्ट तौर पर उजागर हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्त्री-विरोधी विचारों एवं सक्रियताओं की पड़ताल करता है

Rajasthan High Court

न्याय के रास्ते धर्मतंत्र की कवायद: जस्टिस श्रीशानंद, विहिप की बैठक और काशी-मथुरा की बारी

कर्नाटक उच्‍च न्‍यायालय के एक जज की अनर्गल टिप्पणियों पर संज्ञान लेने के पांच दिन बाद उन्‍हें आखिरकार हलके में बरी कर के और साथ ही जजों के लिए किसी दिशानिर्देश का शिगूफा छोड़कर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से पानी में लाठी भांजने का काम किया है। देश की राजधानी में जब केंद्रीय कानून मंत्री और दो दर्जन से ज्‍यादा पूर्व जजों की मौजूदगी में खुलेआम काशी-मथुरा के मंदिरों की योजना बन रही हो, ऐसे में संवैधानिक नैतिकता के सवाल को कौन संबोधित करेगा? अदालती रास्‍ते से हिंदू राष्‍ट्र बनाने की कोशिशों पर सुभाष गाताडे

Eknath Shinde, Maharashta CM

महाराष्ट्र का नया कानून और ‘पुलिस राज’ का कसता शिकंजा

भारत में 1 जुलाई से लागू हुई नई न्‍याय संहिताओं के साथ-साथ महाराष्‍ट्र में एक नया जनसुरक्षा कानून भी आया है। यह कानून उस ‘शहरी नक्‍सल’ के खतरे पर अंकुश के लिए बनाया गया है, जिसके बारे में इस देश का गृह राज्‍यमंत्री संसद में कह चुका है कि गृह मंत्रालय और सरकार की आधिकारिक शब्‍दावली में यह शब्‍द है ही नहीं। ऐसे अनधिकारिक और अपरिभाषित शब्‍दों के नाम पर बनाए जा रहे कानून और की जा रही कार्रवाइयों के मकसद और मंशा पर नजर डाल रहे हैं सुभाष गाताडे