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Fali S. Nariman

न्याय की अंतहीन प्रतीक्षा और एक न्यायविद का अधूरा प्रायश्चित

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अदालती फैसले मुकदमों का अंत नहीं होते। फैसलों के बरसों बाद तक लोग जजों और वकीलों के बारे में अपने-अपने फैसले सुनाते रहते हैं। जज और वकील तो अपनी पेशेवर भूमिका निभाकर और अपने हिस्‍से के सारे तमगे बंटोरकर एक दिन गुजर जाते हैं, लेकिन फिजाओं में उन हादसों के शिकार लोगों का आर्तनाद गूंजता रहता है जिन्‍हें नैतिकता को ताक पर रखकर इन्‍होंने दबाने का काम किया था। दिवंगत न्‍यायविद् फली एस. नरीमन पर डॉ. गोपाल कृष्‍ण का स्‍मृतिलेख