‘पॉप’ हिंदुत्व: तीन संस्कारी नायक और उनकी कुसांस्कृतिक छवियां
byभारतीय जनता पार्टी के जन्म से ही उसके चुनावी घोषणापत्रों का पहला वादा रहे अयोध्या के राम मंदिर में जब प्राण प्रतिष्ठा को कुछ दिन ही बच रहे हैं, तब धर्म और शास्त्रोक्त पद्धतियों पर बहस छिड़ी हुई है। सच्चाई यह है कि हिंदू धर्म के रूढ़ हो चुके संस्थागत स्वरूप को त्यागकर उसे लोकप्रिय व सर्वग्राह्य बनाने से भाजपा का यह प्रोजेक्ट पूरा हुआ है। नए मीडिया में विभिन्न लोकरंजक विधाओं के माध्यम से हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार पर बहुत कम अध्ययन हुआ है। इसी विषय पर कुणाल पुरोहित की लिखी पुस्तक ‘एच-पॉप’ पर चर्चा कर रहे हैं अतुल उपाध्याय