Karnataka

A female farmer in Bihar

बिहार: दो दशक की विफल कृषि नीति और मंडी कानून को दोबारा जिंदा करने की तैयार जमीन

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बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान सिर पर है। विपक्षी महागठबंधन ने इस बीच अपना मैनिफेस्‍टो जारी किया और आश्‍चर्यजनक रूप से किसानों के लिए मंडी सिस्‍टम यानी एपीएमसी कानून को वापस लाने का वादा किया है, जिसे कोई बीस साल पहले खत्‍म कर दिया गया था। मूलत: कृषि-प्रधान एक सूबे के लिए चुनावी घोषणा के स्‍तर पर ही सही, यह कदम स्‍वागतयोग्‍य है जो अनियंत्रित बाजार में सरकारी हस्‍तक्षेप और भूमिका की दोबारा जगह बनाता है। एपीएमसी कानून को निरस्‍त किए जाने के बाद बिहार की विफल कृषि नीतियों और बदहाल किसानों पर डॉ. गोपाल कृष्‍ण का विश्‍लेषण

कृषि मंडियों पर कर्नाटक का फैसला और विपक्षी एकता के संयोजक के लिए एक सबक

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एपीएमसी कानून को रद्द करने वाला बिहार अकेला राज्‍य है। इसके मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता के संयोजक हैं जो बैठक के लिए बेंगलुरू जा रहे हैं। कर्नाटक ने कृषि मंडियों की बहाली का विधेयक पिछले ही हफ्ते पेश किया है, जिसे भाजपा सरकार ने खत्‍म कर दिया था। एकता महज चुनावी रहेगी या उत्‍तर के एक राज्‍य का मुख्‍यमंत्री दक्षिण के दूसरे राज्‍य के फैसलों से कुछ सबक भी लेगा? बिहार में कृषि मंडियों के विनाश पर डॉ. गोपाल कृष्‍ण