Masculinity

Indian historical figures depicted in Gyanendra Pandey's book

पुस्तक समीक्षा : भारतीय समाज के ऐतिहासिक किरदार अपने घर की औरतों के लिए कैसे ‘मर्द’ थे?

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बहुत लंबे समय तक लैंगिकता के प्रश्‍न का अध्‍ययन औरतों को केंद्र में रखकर किया गया। आज भी भारतीय नारीवाद खुद को ज्‍यादातर औरतों के सवालों तक ही सीमित रखता है, हालांकि पुरुषों को समझने के लिए उनको केंद्र में लाने का चलन पश्चिम में काफी पहले शुरू हो चुका था। सबाल्‍टर्न इतिहासकार ज्ञानेंद्र पाण्‍डेय की इस साल आई नई किताब ‘मेन ऐट होम’ भारत की कुछ नायकीय विभूतियों के घरेलू व्‍यवहार की पड़ताल कर के घर और बाहर के बीच मर्दानगी की फांक को समझने की कोशिश करती है। इस किताब की समीक्षा अतुल उपाध्‍याय ने की है, जो लोकसंगीत में मर्दानगी के तत्‍वों पर खुद शोध कर रहे हैं

gayatri chakravorty spivak

JNU विवाद : दक्षिणपंथ की मिट्टी में दफन हो रहा पहचान का कफन

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JNU में कुछ अच्‍छा हो या बुरा, सब कुछ विवाद का विषय बन जाता है। पिछले कुछेक साल से यह रोग इस विश्‍व-प्रसिद्ध युनिवर्सिटी को लग चुका है। कहां तो गायत्री चक्रवर्ती स्पिवाक के यहां आने और उनके दिए व्‍याख्‍यान पर बात होनी चाहिए थी, और कहां एक छात्र की प्रतिवाद में उठी उंगली खबर बन गई। पाले बंट गए। गाली-गलौज शुरू हो गई। बौद्धिक विमर्श की परंपरा वाला एक परिसर आखिर इस पतन तक कैसे पहुंचा? ताजा विवाद के अधूरे पहलुओं पर प्रकाश डाल रहे हैं अतुल उपाध्‍याय