RJD

A wall poster of NDS in Bihar

बिहार: युवाओं के ज्वलंत मुद्दे मतदाताओं को बदलाव के लिए एकजुट क्यों नहीं कर सके?

by

एक दौर में अपनी छात्र-युवा शक्ति के बल पर इस देश में संपूर्ण क्रांति का नारा देने वाला बिहार बीस साल से एक अदद सरकार तक नहीं बदल पा रहा है जबकि युवाओं की समस्‍याएं दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही हैं। इस बार सभी राजनीतिक दलों ने युवाओं से रोजगार आदि का वादा किया था, लेकिन चुनाव जब जमीन पर उतरा तो सारी कहानी जातिगत ध्रुवीकरण का शिकार हो गई। जो दल जीता, उसने ‘जंगलराज’ का डर दिखाकर वोट खींच लिए। हर बार यही होता है और हर बार बिहार का नौजवान ठगा जाता है। चुनाव नतीजों के बाद विपक्ष के कुछ युवाओं से बातचीत के आधार पर अखिलेश यादव की टिप्‍पणी

A female farmer in Bihar

बिहार: दो दशक की विफल कृषि नीति और मंडी कानून को दोबारा जिंदा करने की तैयार जमीन

by

बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान सिर पर है। विपक्षी महागठबंधन ने इस बीच अपना मैनिफेस्‍टो जारी किया और आश्‍चर्यजनक रूप से किसानों के लिए मंडी सिस्‍टम यानी एपीएमसी कानून को वापस लाने का वादा किया है, जिसे कोई बीस साल पहले खत्‍म कर दिया गया था। मूलत: कृषि-प्रधान एक सूबे के लिए चुनावी घोषणा के स्‍तर पर ही सही, यह कदम स्‍वागतयोग्‍य है जो अनियंत्रित बाजार में सरकारी हस्‍तक्षेप और भूमिका की दोबारा जगह बनाता है। एपीएमसी कानून को निरस्‍त किए जाने के बाद बिहार की विफल कृषि नीतियों और बदहाल किसानों पर डॉ. गोपाल कृष्‍ण का विश्‍लेषण

Bihar Assembly Elections 2025

‘वोट चोरी’ और SIR के आर-पार, क्या सोच रहा है चुनावी बिहार? जमीनी स्वर और शुरुआती संकेत…

by

ऐसा लगा कि समय से पहले ही राहुल गांधी ने एक यात्रा निकाल कर बिहार में चुनावी माहौल जमा दिया था, लेकिन अब उसका असर छीजता दिख रहा है। तेजस्‍वी अपने दम पर अकेले एक नई यात्रा निकाल रहे हैं; मोदी-नीतीश योजनाएं और पैकेज देने में जुट गए हैं; तो विपक्ष की हवा बनाने वाला चुनाव आयोग का एसआइआर 7 अक्‍टूबर तक अदालत में फंस गया है। इस बीच लोग क्‍या सोच रहे हैं? बीस साल से कायम सत्ता की यथास्थिति टूटने की क्‍या कोई भी संभावना है? लगातार आठ दिन चौबीस घंटे बिहार की सड़कों को नाप कर दिल्‍ली लौटे गौरव गुलमोहर का बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर एक पूर्वावलोकन