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A wall poster of NDS in Bihar

बिहार: युवाओं के ज्वलंत मुद्दे मतदाताओं को बदलाव के लिए एकजुट क्यों नहीं कर सके?

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एक दौर में अपनी छात्र-युवा शक्ति के बल पर इस देश में संपूर्ण क्रांति का नारा देने वाला बिहार बीस साल से एक अदद सरकार तक नहीं बदल पा रहा है जबकि युवाओं की समस्‍याएं दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही हैं। इस बार सभी राजनीतिक दलों ने युवाओं से रोजगार आदि का वादा किया था, लेकिन चुनाव जब जमीन पर उतरा तो सारी कहानी जातिगत ध्रुवीकरण का शिकार हो गई। जो दल जीता, उसने ‘जंगलराज’ का डर दिखाकर वोट खींच लिए। हर बार यही होता है और हर बार बिहार का नौजवान ठगा जाता है। चुनाव नतीजों के बाद विपक्ष के कुछ युवाओं से बातचीत के आधार पर अखिलेश यादव की टिप्‍पणी

पंजाब: बदलती सरकारें, चढ़ता नशा, मरती जवानी

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पांच साल पहले जब मुख्‍यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ड्रग तस्‍करों को मृत्‍युदंड की सिफारिश की थी, तब लगा था कि उड़ते पंजाब पर लगाम लग जाएगी। फिर सरकार बदली। दस दिन के अंदर नए मुख्‍यमंत्री भगवंत मान ने सूबे को नशामुक्‍त करने की शपथ खाई, तो दिल्‍ली में उन्‍हीं की पार्टी के बड़े नेता शराब घोटाले में अंदर चले गए। अब चुनाव फिर सिर पर हैं तो भाजपा नशामुक्‍त पंजाब का नारा देकर रैलियां निकालने जा रही है। उधर लगातार जारी मौतों के धुंधलके में ड्रग्‍स जब्‍ती के सरकारी आंकड़े श्‍मशान की राख से भी हलके नजर आते हैं। पंजाब से मनदीप पुनिया की ग्राउंड रिपोर्ट