अयोध्या के युद्ध में: साधु और शैतान के बीच फंसा भगवान

अयोध्‍या अपने गुण और नाम के विपरीत लंबे अरसे से युद्ध में मुब्तिला है। यहां भगवान और जमीन के नाम पर होने वाली हत्‍याओं का सिलसिला बहुत पुराना है। कहते हैं कि दो सौ से ज्‍यादा साधु यहां मारे जा चुके हैं। सरकारी अधिकारी भी, कोर्ट द्वारा नियुक्‍त पुजारी भी। राम मंदिर ट्रस्‍ट के कर्ताधर्ता भी हमलों से अछूते नहीं रहे। कुछ भले लोग भी मारे गए, जिन्‍होंने जरूरी सवाल पूछे थे। अयोध्‍यावासी तो खुशी और डर के मारे आज चुप हैं, लेकिन यहां गड़े मुर्दे लगातार सवाल पूछ रहे हैं। धर्म, जमीन और जरायम के आपराधिक गठजोड़ पर अयोध्‍या रहकर लौटे अमन गुप्‍ता की फॉलो-अप रिपोर्ट

शिवराज के सपनों का ‘अद्वैतलोक’ : जहां सत्य, शिव और सुंदर के अलावा सब कुछ है

हर नेता अपनी जिंदगी में कम से कम एक प्रतिमा गढ़ना चाहता है। शिवराज सिंह चौहान ने भी एक प्रतिमा गढ़ी- 108 फुट ऊंची आदि शंकराचार्य की। शिव के मस्तक में मशीनों से छेद कर के खड़ी की गई इस प्रतिमा ने संघ के कार्यकर्ताओं को फिरंट कर दिया, जंगलों को नष्ट कर दिया, पहाड़-घाटी के लोगों को उजाड़ दिया। बाढ़ और मानवीय त्रासदी के बीच लोकार्पित की गई तीन हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना पर खंडवा के ओंकारेश्वर से लौटकर अमन गुप्ता की लंबी कहानी

आगरा यूनिवर्सिटी पर्चा घोटाले में गिरफ्तारी की रहस्यमय परतें और एक कुलपति की कहानी

मात्र बीस साल के शैक्षणिक करियर वाले विनय कुमार पाठक कानपुर की छत्रपति शाहूजी महाराज युनिवर्सिटी के कुलपति हैं। उनका बायोडाटा हालांकि इससे कहीं ज्‍यादा बड़ा है। वे लगातार 14 साल से अलग-अलग विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं। आगरे में रहते हुए उन पर एसटीएफ और सीबीआइ की जांच बैठी। फिर प्रधानमंत्री से लेकर सरसंघचालक और राज्यपाल तक, सबको उन्होंने साधा। मात्र सात महीने में उनके ऊपर मुकदमा करवाने वाला व्यक्ति खुद भीतर हो गया। पाठक जी जांच के बावजूद ससम्मान कुलपति बने हुए हैं। विनय पाठक की रामकहानी सुना रहे हैं अमन गुप्ता