gayatri chakravorty spivak

JNU विवाद : दक्षिणपंथ की मिट्टी में दफन हो रहा पहचान का कफन

JNU में कुछ अच्‍छा हो या बुरा, सब कुछ विवाद का विषय बन जाता है। पिछले कुछेक साल से यह रोग इस विश्‍व-प्रसिद्ध युनिवर्सिटी को लग चुका है। कहां तो गायत्री चक्रवर्ती स्पिवाक के यहां आने और उनके दिए व्‍याख्‍यान पर बात होनी चाहिए थी, और कहां एक छात्र की प्रतिवाद में उठी उंगली खबर बन गई। पाले बंट गए। गाली-गलौज शुरू हो गई। बौद्धिक विमर्श की परंपरा वाला एक परिसर आखिर इस पतन तक कैसे पहुंचा? ताजा विवाद के अधूरे पहलुओं पर प्रकाश डाल रहे हैं अतुल उपाध्‍याय

‘पॉप’ हिंदुत्‍व: तीन संस्‍कारी नायक और उनकी कुसांस्‍कृतिक छवियां

भारतीय जनता पार्टी के जन्‍म से ही उसके चुनावी घोषणापत्रों का पहला वादा रहे अयोध्‍या के राम मंदिर में जब प्राण प्रतिष्‍ठा को कुछ दिन ही बच रहे हैं, तब धर्म और शास्‍त्रोक्‍त पद्धतियों पर बहस छिड़ी हुई है। सच्‍चाई यह है कि हिंदू धर्म के रूढ़ हो चुके संस्‍थागत स्‍वरूप को त्‍यागकर उसे लोकप्रिय व सर्वग्राह्य बनाने से भाजपा का यह प्रोजेक्‍ट पूरा हुआ है। नए मीडिया में विभिन्‍न लोकरंजक विधाओं के माध्‍यम से हिंदुत्‍व के प्रचार-प्रसार पर बहुत कम अध्‍ययन हुआ है। इसी विषय पर कुणाल पुरोहित की लिखी पुस्‍तक ‘एच-पॉप’ पर चर्चा कर रहे हैं अतुल उपाध्‍याय