Bihar Assembly Elections 2025

‘वोट चोरी’ और SIR के आर-पार, क्या सोच रहा है चुनावी बिहार? जमीनी स्वर और शुरुआती संकेत…

ऐसा लगा कि समय से पहले ही राहुल गांधी ने एक यात्रा निकाल कर बिहार में चुनावी माहौल जमा दिया था, लेकिन अब उसका असर छीजता दिख रहा है। तेजस्‍वी अपने दम पर अकेले एक नई यात्रा निकाल रहे हैं; मोदी-नीतीश योजनाएं और पैकेज देने में जुट गए हैं; तो विपक्ष की हवा बनाने वाला चुनाव आयोग का एसआइआर 7 अक्‍टूबर तक अदालत में फंस गया है। इस बीच लोग क्‍या सोच रहे हैं? बीस साल से कायम सत्ता की यथास्थिति टूटने की क्‍या कोई भी संभावना है? लगातार आठ दिन चौबीस घंटे बिहार की सड़कों को नाप कर दिल्‍ली लौटे गौरव गुलमोहर का बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर एक पूर्वावलोकन

रामलला के स्वागत से पहले उनकी अयोध्या उजड़ रही है, उनकी प्रजा उखड़ रही है…

राम मंदिर के उद्घाटन की तारीख आ चुकी है। आधुनिक दौर में इस देश की राजनीति को परिभाषित करने वाली तीन दशक पुरानी इकलौती घटना जनवरी के तीसरे हफ्ते में अपनी परिणति पर पहुंच जाएगी। बस, उसके उत्‍सव में अयोध्‍यावासी नहीं होंगे। वे कहीं जा चुके होंगे, यदि बचे होंगे तब। अयोध्‍या में विकास और मंदिर के नाम पर लोगों को उजाड़ने का जो भयावह खेल चल रहा है, उसकी पड़ताल कर रहे हैं वहां से लौटे गौरव गुलमोहर

अकेले अकेले के खेल में: संगम पर दम तोड़ रहा है नाव, नदी और नाविक का रिश्ता

इलाहाबाद के संगम पर इस साल केवल दो नावें बनी हैं। रोजी-रोटी की तलाश में नाविकों ने दूसरे सूबों का रुख कर लिया है। बनारस में गंगा पर क्रूज और वाटर टैक्‍सी चली, तो मल्‍लाहों ने क्रूज को घेर लिया, फिर नाव बांध दिए और हड़ताल पर चले गए। नदी, नाव और नाविक को अलग-अलग बांट कर देखने और बरतने वाले इस निजाम में हर नदी के किनारे गरीबी और वंचना की कहानियां बिखरी हुई हैं। इस सब के बीच नाव बनाने की कला ही लुप्‍त हो रही है। इलाहाबाद से गौरव गुलमोहर की लंबी कहानी