Assault on Journalists

Saumya Raj

NDLS, 15/02 : खबर मिटाने पर आमादा रेलवे पुलिस के सामने अडिग रही एक रिपोर्टर की डायरी

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आधी रात हुई दर्जनों मौतों की गवाहियां सुन-सुन के, दर्ज कर-कर के, थक चुके एक रिपोर्टर को अगर तकरीबन बंधक बनाकर कहा जाय कि उसे अपना सारा काम उड़ाना होगा वरना थाने जाना होगा, तो उसके सामने क्‍या विकल्‍प बचता है? सौम्‍या राज के साथ पंद्रह फरवरी को नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन पर यही हुआ, लेकिन उन्‍होंने पुलिस के सामने हथियार नहीं डाले। सत्‍ता के प्रतिकूल खबरों को खुलेआम दबाए जाने के दौर में पेशेवर साहस की एक छोटी-सी पर अहम मिसाल, कुछ जरूरी सवालों के साथ। खुद रिपोर्टर की कलम से

दिल्ली में मेरा घर जला दिया गया… रामायण और कुरान दोनों को आंच आई है!

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दिल्‍ली में 30 अगस्‍त की सुबह एक महिला पत्रकार खुशबू अख्‍तर का घर जला दिया गया। जलाने वालों का अब तक कोई सुराग नहीं, लेकिन इसके हादसा होने की गुंजाइश भी नगण्‍य है। इस आग में सिर्फ एक घर नहीं जला है, साझा संस्‍कृति के प्रतीक भी जलकर खाक हुए हैं। यह घटना इसलिए गंभीर है क्‍योंकि धर्मनिरपेक्षता के प्रति इस पत्रकार की विश्वसनीयता असंदिग्ध है। बीते कुछ वर्षों के दौरान वंचितों और अल्‍पसंख्‍यकों के सवालों को खुशबू ने जिस साहस और निरंतरता के साथ उठाया है, वह इस घटना की मंशाओं की ओर संकेत करता है। खुशबू अख्‍तर की कलम से ही पूरी आपबीती

पत्रकारों का सरकारी उत्पीड़न बढ़ा, 2022 में 194 पत्रकार हमलों का शिकार: RRAG

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बीते 27 जून को जारी एक विज्ञप्ति में आरआरएजी ने बताया कि 194 में से 103 पत्रकारों को राजकीय हमले का शिकार होना पड़ा जबकि 91 पत्रकारों को राजनीतिक कार्यकर्ताओं और राज्‍येतर इकाइयों ने अपना निशाना बनाया।