चांद के पार आठ अरब डॉलर का बाजार, एक मसौदा कानून और निजी कंपनियों का इंतजार

चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के पहले और बाद में दो घटनाएं हुईं। अमेरिका यात्रा पर पिछले महीने प्रधानमंत्री ने आर्टेमिस संधि पर दस्‍तखत किए और चंद्रयान छूटने के ठीक दो दिन बाद निजी प्रक्षेपण कंपनियों को अंतरिक्ष में अपने लॉन्‍च वाहन या रॉकेट से उपग्रह छोड़ने पर जीएसटी भुगतान से मुक्‍त कर दिया गया। चंद्रयान पर जश्‍न के पीछे क्‍या अंतरिक्ष में बाजार लगाने की योजना है? आखिर 150 स्‍पेस स्‍टार्ट-अप किस चीज की बाट जोह रहे हैं? छह साल से लटके भारत के पहले राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष कानून पर एक नजर

G-20 के लिए लोगों को उजाड़ने के खिलाफ बोलना भी जुर्म, दिल्ली में रुकवा दिया गया We-20 सम्मेलन

दिल्‍ली से लेकर वृंदावन, अयोध्‍या, बनारस, ओडिशा, बंगाल यानी समूचे देश में लोगों को उजाड़ा जा रहा है। बहाना है आगामी सितंबर में होने वाला जी-20 शिखर सम्‍मेलन और उसके लिए शहरों का सुंदरीकरण। इस बेदखली, विस्‍थापन और बेघरी के खिलाफ 700 से ज्‍यादा लोग दिल्‍ली में तीन दिन बंद कमरे में विचार-विमर्श करने को जुटे थे। दिल्‍ली पुलिस ने दूसरे दिन माहौल बिगाड़ा और तीसरे दिन के सत्र को होने ही नहीं दिया। यह सम्‍मेलन आधे में ही खत्‍म हो गया।

ऐतिहासिक ‘सभ्यताएं’ हिंसा, जोर-जबर, और औरतों के दमन पर टिकी थीं!

लेखिका एवं शोधकर्ता साशा सवानोविच ने डेविड वेनग्रो की किताब ‘द डॉन ऑफ एवरीथिंग: ए न्यू हिस्ट्री ऑफ ह्यूमैनिटी’ को लेकर उनसे बातचीत की है। इस चर्चा में अपनी किताब के निष्कर्षों का हवाला देते हुए वेनग्रो ‘सभ्यता’ की यूरोप केंद्रित समझदारी की पड़ताल और पर्दाफाश करते हैं और इस बात की ओर इशारा करते हैं कि कैसे पुरातत्व एवं नृतत्व की मदद से आज समाजों को आकार दिया जा सकता है। अनुवाद अतुल उपाध्याय का है

कोरोना की आड़ में फिर से जागा रद्द कचरा संयंत्र, इंसानी त्रासदी के मुहाने पर भोजपुर

दस साल पहले बिहार में शुरू हुआ एक कचरा संयंत्र जनता के आंदोलन और प्रदूषण बोर्ड की नामंजूरी के कारण बंद हो चुका था। लोगों ने चैन की सांस ली ही थी कि कोविड में चुपके से इस पर दोबारा काम शुरू हो गया। आज जनता फिर से आक्रोशित है। कोईलवर प्रखंड के जमालपुर गांव से होकर आई पीयूसीएल की जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट 23 जुलाई को जारी की है। इस रिपोर्ट के प्रमुख अंश

दिल्ली की बाढ़ में डूब गई IIT के एक और छात्र की ‘संस्थागत हत्या’

रोहित वेमुला की खुदकुशी के सात साल भी कुछ नहीं बदला है। एक गुबार उठा था 2016 में, फिर सब कुछ वापस वैसा ही हो गया। आइआइटी के परिसरों में 33वें छात्र की मौत बीती 8 जुलाई को हुई। हफ्ता भर बीत चुका है, लेकिन अब तक किसी ने आयुष की मौत की सुध नहीं ली है। दिल्‍ली की बाढ़ पर खबरों की बाढ़ में ये खबर डूब चुकी है।

मणिपुर: ‘राजकीय हिंसा’ पर बहस के लिए SC ‘सही मंच नहीं’, मीडिया में बोलने वालों पर FIR

आज सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई में मणिपुर की हिंसा से अपना पल्‍ला पूरी तरह झाड़ लिया और इसे राज्‍य सरकार का मसला करार दिया। मणिपुर के विभिन्‍न समूहों की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्‍य न्‍यायाधीश चंद्रचूड़ और और पीएस नरसिम्‍हा की पीठ ने साफ कहा कि वह राज्‍य में कानून व्‍यवस्‍था का मसला अपने हाथ में नहीं सकती, ज्‍यादा से ज्‍यादा अधिकारियों को हालात बेहतर करने के सुझाव दे सकती है।

बनारस: नहीं मिले सर्व सेवा संघ के लोगों से मोदी, ज्ञापन गंगा के हवाले, केस सुप्रीम कोर्ट के

बनारस में सर्व सेवा संघ के ऊपर भाजपा की पहली सरकार के समय से जारी कब्‍जे की कोशिशें इस बार रंगत ला रही हैं। हाइकोर्ट ने गांधीवादियों की याचिका ठुकरा दी है। प्रशासन और रेलवे चौकस हैं। परिसर खाली करने का नोटिस चिपका हुआ है। यह सब कुछ स्‍थानीय सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्‍ट के नाम पर किया जा रहा है जिसमें विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण को जालसाज ठहरा दिया गया है

AI के खिलाफ ‘चोरी’ का मुकदमा! इसका मतलब क्‍या है?

ये मुकदमे सामान्‍य केस नहीं हैं। बेशक मुकदमे कंपनियों के खिलाफ हुए हैं जिन्‍हें मनुष्‍य चलाते हैं, लेकिन जिस डेटा ‘चोरी’ की बात की गई है उसका इस्‍तेमाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को प्रशिक्षित करने में किया गया है। यानी आरोपित कंपनी चाह कर भी उस डेटा को वापस नहीं कर सकती है क्‍योंकि एआइ एक बार जो सीख चुका है उसे भुला नहीं सकता।

संयुक्त विपक्ष के ‘चाणक्य’ के यहां भाजपा की सेंधमारी, महाराष्ट्र के बाद अब किसकी बारी?

विपक्षी एकता के लिए गैर-भाजपा दलों को एकजुट करने की मुहिम में लगे शरद पवार के घर में ही सेंध लग गई है। उनके भतीजे 40 से ज्‍यादा विधायकों के समर्थन से अचानक महाराष्‍ट्र के उपमुख्‍यमंत्री बन गए हैं। इस तरह शिव सेना के बाद अब एनसीपी भी बीच में से दो फाड़ हो गई है। कुछ और राज्‍यों में विपक्षी दलों के तमाम छोटे-बड़े नेता भाजपा के साथ संपर्क में हैं और सही मुहूर्त की बाट जोह रहे हैं। बंगलुरु में होने वाली संयुक्‍त विपक्ष की दूसरी बैठक खटाई में पड़ गई है।

पत्रकारों का सरकारी उत्पीड़न बढ़ा, 2022 में 194 पत्रकार हमलों का शिकार: RRAG

बीते 27 जून को जारी एक विज्ञप्ति में आरआरएजी ने बताया कि 194 में से 103 पत्रकारों को राजकीय हमले का शिकार होना पड़ा जबकि 91 पत्रकारों को राजनीतिक कार्यकर्ताओं और राज्‍येतर इकाइयों ने अपना निशाना बनाया।