Flood scene from Malana, Himachal Pradesh

हिमाचल: फिर से बाढ़, फिर वही तबाही! सरकारों ने हिमालय के संकट पर कोई सबक नहीं लिया?

हिमाचल प्रदेश में पिछले साल आई तबाही के जख्‍म अभी सूखे नहीं थे कि जुलाई के अंत में एक बार फिर बारिश उन्‍हीं इलाकों में सब कुछ बहा ले गई जो आपदा के मारे थे। कुछ जगहें तो बीते वर्षों में लगातार तीसरी बार साफ हो गई। जलवायु परिवर्तन के गहराते असर और राज्‍य की विकास नीतियों के अंधेपन के कारण बार-बार हिमालय का जीवन संकट में पड़ रहा है। हिमालय नीति अभियान ने पिछले साल से लेकर अब तक लगातार सरकारों को विकास-संबंधी सिफारिशें की हैं लेकिन राज्‍य की नीति में कोई बदलाव नहीं आ रहा। अभियान की फैक्‍ट-फाइंडिंग की रोशनी में इस बार की तबाही का एक फॉलो-अप

भारत में धनकुबेरों का फैलता राज और बढ़ती गैर-बराबरी: पिछले दस साल का हिसाब

प्रतिष्ठित अर्थशास्‍त्री थॉमस पिकेटी ने भारत में गैर-बराबरी और अरबपतियों के फैलते राज पर एक रिपोर्ट जारी की है। वर्ल्‍ड इनीक्वालिटी लैब से जारी इस रिपोर्ट को पिकेटी के साथ नितिन कुमार भारती, लुकास चैन्सल और अनमोल सोमंची ने मिलकर लिखा है। पिछले दस वर्षों के दौरान किस तरह भारत धनकुबेरों के तंत्र में तब्‍दील होता गया है और यहां का मध्‍यवर्ग लगभग लापता होने के कगार पर आ चुका है, उसकी एक संक्षिप्‍त तथ्‍यात्‍मक तस्‍वीर फॉलो-अप स्‍टोरीज अपने पाठकों के लिए चुन कर प्रस्‍तुत कर रहा है

Bombard the Media: 1992 के बाद बौद्धिक हस्तक्षेप के संकट पर आनंदस्वरूप वर्मा से बातचीत

महज तीस साल पहले की बात है जब दो पत्रकारों की पहल पर दिल्‍ली से पांच दर्जन लेखक, पत्रकार और बुद्धिजीवी ट्रेन पकड़ कर प्रतिरोध मार्च निकालने लखनऊ निकल लिए थे। यह 6 दिसंबर, 1992 के ठीक दो हफ्ते बाद हुआ था। सारे अखबारों ने इस प्रतिरोध और सभा की न केवल कवरेज की थी, पूर्व सूचना भी छापी थी। तब देश भर में प्रदर्शन हुए थे। आज ऐसा बौद्धिक दखल नदारद है। क्‍या हुआ है इन तीन दशकों में? दिल्‍ली से लखनऊ गए जत्‍थे के संयोजक वरिष्‍ठ पत्रकार आनंदस्‍वरूप वर्मा से फॉलो-अप स्‍टोरीज के लिए अभिषेक श्रीवास्‍तव की बातचीत

बांदा: दलित औरत के बलात्कार को हादसा बताकर अपराधियों को बचा रही है पुलिस?

औरतों से बलात्‍कार के बाद उनका अंग-भंग करने का चलन इधर बीच बहुत तेजी से बढ़ा है। शहरों से शुरू हुआ यह सिलसिला अब गांवों तक पहुंच चुका है। पिछले महीने बांदा में एक दलित औरत के साथ सामूहिक बलात्‍कार के बाद उसका सिर और हाथ काट दिया गया था। आरोपित भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध तीन सवर्ण पुरुष थे। पुलिस की जांच में इसे हादसा बता दिया गया। आंदोलन के दबाव में महज एक गिरफ्तारी हुई, लेकिन धाराएं हलकी कर दी गईं। पतौरा गांव में 31 अक्‍टूबर को हुई जघन्‍य घटना की अविकल फैक्‍ट फाइंडिंग रिपोर्ट

चांद के पार आठ अरब डॉलर का बाजार, एक मसौदा कानून और निजी कंपनियों का इंतजार

चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के पहले और बाद में दो घटनाएं हुईं। अमेरिका यात्रा पर पिछले महीने प्रधानमंत्री ने आर्टेमिस संधि पर दस्‍तखत किए और चंद्रयान छूटने के ठीक दो दिन बाद निजी प्रक्षेपण कंपनियों को अंतरिक्ष में अपने लॉन्‍च वाहन या रॉकेट से उपग्रह छोड़ने पर जीएसटी भुगतान से मुक्‍त कर दिया गया। चंद्रयान पर जश्‍न के पीछे क्‍या अंतरिक्ष में बाजार लगाने की योजना है? आखिर 150 स्‍पेस स्‍टार्ट-अप किस चीज की बाट जोह रहे हैं? छह साल से लटके भारत के पहले राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष कानून पर एक नजर

G-20 के लिए लोगों को उजाड़ने के खिलाफ बोलना भी जुर्म, दिल्ली में रुकवा दिया गया We-20 सम्मेलन

दिल्‍ली से लेकर वृंदावन, अयोध्‍या, बनारस, ओडिशा, बंगाल यानी समूचे देश में लोगों को उजाड़ा जा रहा है। बहाना है आगामी सितंबर में होने वाला जी-20 शिखर सम्‍मेलन और उसके लिए शहरों का सुंदरीकरण। इस बेदखली, विस्‍थापन और बेघरी के खिलाफ 700 से ज्‍यादा लोग दिल्‍ली में तीन दिन बंद कमरे में विचार-विमर्श करने को जुटे थे। दिल्‍ली पुलिस ने दूसरे दिन माहौल बिगाड़ा और तीसरे दिन के सत्र को होने ही नहीं दिया। यह सम्‍मेलन आधे में ही खत्‍म हो गया।

ऐतिहासिक ‘सभ्यताएं’ हिंसा, जोर-जबर, और औरतों के दमन पर टिकी थीं!

लेखिका एवं शोधकर्ता साशा सवानोविच ने डेविड वेनग्रो की किताब ‘द डॉन ऑफ एवरीथिंग: ए न्यू हिस्ट्री ऑफ ह्यूमैनिटी’ को लेकर उनसे बातचीत की है। इस चर्चा में अपनी किताब के निष्कर्षों का हवाला देते हुए वेनग्रो ‘सभ्यता’ की यूरोप केंद्रित समझदारी की पड़ताल और पर्दाफाश करते हैं और इस बात की ओर इशारा करते हैं कि कैसे पुरातत्व एवं नृतत्व की मदद से आज समाजों को आकार दिया जा सकता है। अनुवाद अतुल उपाध्याय का है

कोरोना की आड़ में फिर से जागा रद्द कचरा संयंत्र, इंसानी त्रासदी के मुहाने पर भोजपुर

दस साल पहले बिहार में शुरू हुआ एक कचरा संयंत्र जनता के आंदोलन और प्रदूषण बोर्ड की नामंजूरी के कारण बंद हो चुका था। लोगों ने चैन की सांस ली ही थी कि कोविड में चुपके से इस पर दोबारा काम शुरू हो गया। आज जनता फिर से आक्रोशित है। कोईलवर प्रखंड के जमालपुर गांव से होकर आई पीयूसीएल की जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट 23 जुलाई को जारी की है। इस रिपोर्ट के प्रमुख अंश

दिल्ली की बाढ़ में डूब गई IIT के एक और छात्र की ‘संस्थागत हत्या’

रोहित वेमुला की खुदकुशी के सात साल भी कुछ नहीं बदला है। एक गुबार उठा था 2016 में, फिर सब कुछ वापस वैसा ही हो गया। आइआइटी के परिसरों में 33वें छात्र की मौत बीती 8 जुलाई को हुई। हफ्ता भर बीत चुका है, लेकिन अब तक किसी ने आयुष की मौत की सुध नहीं ली है। दिल्‍ली की बाढ़ पर खबरों की बाढ़ में ये खबर डूब चुकी है।

मणिपुर: ‘राजकीय हिंसा’ पर बहस के लिए SC ‘सही मंच नहीं’, मीडिया में बोलने वालों पर FIR

आज सुप्रीम कोर्ट ने एक सुनवाई में मणिपुर की हिंसा से अपना पल्‍ला पूरी तरह झाड़ लिया और इसे राज्‍य सरकार का मसला करार दिया। मणिपुर के विभिन्‍न समूहों की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्‍य न्‍यायाधीश चंद्रचूड़ और और पीएस नरसिम्‍हा की पीठ ने साफ कहा कि वह राज्‍य में कानून व्‍यवस्‍था का मसला अपने हाथ में नहीं सकती, ज्‍यादा से ज्‍यादा अधिकारियों को हालात बेहतर करने के सुझाव दे सकती है।