Caste System

पालघर जिले के कवटेपाड़ा में अपने घर के आंगन में बैठी 55 वर्षीय वंदना, जो महाराष्ट्र के वाडा तालुका में विभिन्न निर्माण स्थलों पर काम करती हैं, कहती हैं, “हमें नहीं पता कि क्या हो रहा है। मेरे बेटे ने मुझसे घर पर रहने के लिए कहा क्योंकि हमारे आसपास एक बीमारी फैली हुई है और सरकार ने कहा है कि हम अपने घरों से बाहर ना निकलें।

Wife and two sons of deceased Ajay Prajapati

चंदौली में हत्‍या: जाति की जमीन पर जरायम की जजमानी का जिंदा सियासी इतिहास

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जमीन के झगड़े में हुई मामूली सी दिखने वाली एक हत्या कैसे किसी इलाके में सामंतवाद और दबंग जातियों को मिलने वाले राजनीतिक संरक्षण के धागे खोल कर रख देती है, चंदौली के धानापुर का अजय प्रजापति हत्‍याकांड इसका ताजा उदाहरण है। इस मर्डर केस में आरोपितों द्वारा पीड़ित परिवार दी गई महज एक धमकी ने न सिर्फ करजरा गांव, बल्कि समूचे पूर्वांचल में जाति, जुर्म, जमीन और इसकी सियासत के समीकरण का चार दशक पुराना इतिहास जिंदा कर डाला है। चंदौली और गाजीपुर से लौटकर शिव दास की अविकल जमीनी रिपोर्ट

gayatri chakravorty spivak

JNU विवाद : दक्षिणपंथ की मिट्टी में दफन हो रहा पहचान का कफन

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JNU में कुछ अच्‍छा हो या बुरा, सब कुछ विवाद का विषय बन जाता है। पिछले कुछेक साल से यह रोग इस विश्‍व-प्रसिद्ध युनिवर्सिटी को लग चुका है। कहां तो गायत्री चक्रवर्ती स्पिवाक के यहां आने और उनके दिए व्‍याख्‍यान पर बात होनी चाहिए थी, और कहां एक छात्र की प्रतिवाद में उठी उंगली खबर बन गई। पाले बंट गए। गाली-गलौज शुरू हो गई। बौद्धिक विमर्श की परंपरा वाला एक परिसर आखिर इस पतन तक कैसे पहुंचा? ताजा विवाद के अधूरे पहलुओं पर प्रकाश डाल रहे हैं अतुल उपाध्‍याय

Nitish and Modi together on a hoarding

बिहार : संघ-भाजपा की दाल यहां अकेले क्यों नहीं गल पाती है?

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पिछले आम चुनाव में बिहार में एक को छोड़कर सारी सीटें जीतने वाले एनडीए के पास इस बार बहुत कुछ पाने को नहीं है, लेकिन गिरने की गुंजाइश बरकरार है। नरेंद्र मोदी की 12 मई को पटना में होने वाली भव्‍य रैली संभव है इस गिरावट को थाम ले, लेकिन सवाल है कि मोदी लहर और हिंदुत्‍व के चरम उभार के दौर में भी बिहार में भाजपा को गठबंधन का सहारा क्‍यों लेना पड़ रहा है? क्‍या चीज भाजपा के लिए बिहार को हिंदी पट्टी में अपवाद बनाए हुए है? और क्‍या अगले साल अपने दम पर बिहार में भाजपा सरकार बना सकेगी? राहुल कुमार गौरव की पड़ताल

दिल्ली की बाढ़ में डूब गई IIT के एक और छात्र की ‘संस्थागत हत्या’

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रोहित वेमुला की खुदकुशी के सात साल भी कुछ नहीं बदला है। एक गुबार उठा था 2016 में, फिर सब कुछ वापस वैसा ही हो गया। आइआइटी के परिसरों में 33वें छात्र की मौत बीती 8 जुलाई को हुई। हफ्ता भर बीत चुका है, लेकिन अब तक किसी ने आयुष की मौत की सुध नहीं ली है। दिल्‍ली की बाढ़ पर खबरों की बाढ़ में ये खबर डूब चुकी है।