COVID-19

COVID के भुला दिए गए सबक और नए साल में आसन्न खतरों की फेहरिस्त

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पांच साल पहले भी नया साल आया था, लेकिन एक वायरस के साये में और दो-तीन महीने के भीतर पूरी दुनिया सिर के बल खड़ी हो गई। अरबों लोग घरों में कैद हो गए। लाखों लोग घर पहुंचने के लिए सड़कें नापते-नापते हादसों की भेंट चढ़ गए। संस्‍थाएं पंगु हो गईं। व्‍यवस्‍थाएं चरमरा गईं। हमारी कोई तैयारी ही नहीं थी एक अदद वायरस से निपटने के लिए, जबकि आने वाला समय ऐसे ही तमाम और वायरसों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, भूराजनीतिक टकरावों और जलवायु परिवर्तन के सामने निहत्‍था खड़ा है।

A Musahar family in Varanasi

बनारस : ‘विकास’ की दो सौतेली संतानें मुसहर और बुनकर

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महात्‍मा गांधी कतार के सबसे अंत में खड़े इंसान को सुख, दुख, समृद्धि आदि का पैमाना मानते थे। बनारस के समाज में मुसहर और बुनकर ऐसे ही दो तबके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दस साल की सांसदी और राज में ये दोनों तबके वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में हुए कथित विकास का लिटमस टेस्‍ट माने जा सकते हैं, जो कुछ साल पहले एक साथ भुखमरी की हालत में पहुंच गए थे जब कोरोना आया था। चुनाव से ठीक पहले बुनकरों और मुसहरों की बस्तियों से होकर आईं नीतू सिंह की फॉलो-अप रिपोर्ट