Kashmir

एक राष्ट्र, एक निशान, एक संविधान?

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सच तो यह है कि ज़मीन के मालिकाने और रोज़गार सुरक्षा से जुड़े नियमों-कानूनों के ढाँचे को, या दूसरे शब्दों में जम्मू-कश्मीर के संविधान और अनुच्छेद 35अ में जिन अधिकारों की गारंटी दी गई थी उनको खत्म करने की निरर्थकता खुद इस सरकार को भी तेजी से समझ में आ रही है। एक वरिष्ठ हिन्दुस्तानी अधिकारी ने हाल ही में कहा कि जम्मू-कश्मीर की चुनी हुई सरकार वहाँ की भूमि नीति पर फैसला करेगी। जम्मू-कश्मीर में भाजपा नेता निर्मल सिंह ने कह ही दिया है कि पार्टी रोज़गार के अधिकार के मामले में निवासियों को सुरक्षा देने की माँग उठाएगी। दूसरे लफ्ज़ों में, यह सही है भारी संवैधानिक उथल-पुथल हुआ है जो आज की तारीख में लगता है कि अब उलटा नहीं जा सकता लेकिन जहाँ तक रोज़मर्रा के दायरे की बात है तो जम्मू-कश्मीर पर फतह न तो पूर्ण है और न ही वैसी अविवादित जैसा कि लड्डू बाँटने वाली पब्लिक सोचती है।

हिन्दू मर्दों के सपने में कश्मीरी लड़कियां क्यों आती हैं?

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खूबसूरत कश्मीरी ‘लड़कियों’ से शादी का अरमान पालने वाले हिन्दू राष्ट्रवादी मर्दों के बारे में काफी कुछ लिखा जा चुका है, लेकिन कुछ सवाल हैं कि फिर भी कायम हैं.