Ladakh Foundation Day

लद्दाख: संस्‍कृति के खोल में अधूरी ‘आजादी’ का सरकारी जश्‍न

बौद्ध बहुल लद्दाख ने कभी मुस्लिम बहुल जम्‍मू और कश्‍मीर से आजादी चाही थी। 5 अगस्‍त, 2019 को तत्‍कालीन राज्‍य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने से लद्दाख को आजादी तो मिली, लेकिन किस कीमत पर? उसकी पर्वतीय परिषद की स्‍वायत्‍तता जाती रही। अब अधूरी आजादी को लेकर वहां के लोग छठवीं अनुसूची और पूर्ण राज्‍य के दरजे की लड़ाई लड़ रहे हैं। उधर सरकार स्‍थानीय सांस्‍कृतिक महोत्‍सव की शक्‍ल में यह आजादी उसे बेचने की कोशिश कर रही है। बीच में करगिल अपनी अलहदा धार्मिक पहचान के चलते खुद को फंसा हुआ पा रहा है। लेह और करगिल से लौटकर रोहिण कुमार की फॉलो-अप रिपोर्ट

Security guard at Lal Chowk

जम्मू-कश्मीर को राज्य बनाए बिना हालात ठीक नहीं हो सकते : पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक से बातचीत

जम्मू और कश्मीर के इतिहास में पूर्व गवर्नर जगमोहन के बाद सत्यपाल मलिक ही हैं जिनके जिक्र के बगैर कश्मीर पर आज बात नहीं हो सकती। आज मलिक और मोदी सरकार न सिर्फ दूर हो चुके हैं, बल्कि एक-दूसरे को नापसंद भी करते हैं। व्यवस्था को इतने करीब से देखने, जानने, समझने और खुद अमल में लाने वाले मलिक के लिए क्या बदल गया इन पांच वर्षों में, यह समझने के लिए रोहिण कुमार ने दिल्‍ली में अनुच्‍छेद 370 की पांचवीं बरसी पर उनसे लंबी बातचीत की

मणिपुर: हथियारों की लूट, सुरक्षाबलों पर FIR, और अब 15 अगस्त का बहिष्कार!

आज पूरा देश जब स्‍वतंत्रता दिवस मना रहा है, मणिपुर में सतरह घंटे की बंदी है। मैतेयी सशस्‍त्र संगठन कॉरकॉम ने स्‍वतंत्रता दिवस के बहिष्‍कार का आह्वान कर दिया है। कुछ संगठनों ने 14 अगस्‍त को ही अपनी आजादी का दिवस मना लिया है। 3 मई से शुरू हुई हिंसा सरकारी हथियारों की लूट से लेकर सशस्‍त्र बलों पर एफआइआर और पुलिस के साथ तनाव में तब्‍दील होते हुए इस स्थिति त‍क आखिर कैसे पहुंच गई जबकि पिछले ही हफ्ते कुकी नेता गृहमंत्री से दिल्‍ली में मिलकर गए हैं? मणिपुर से लौटकर रोहिण कुमार की श्रृंखला की तीसरी कड़ी

मणिपुर: पचहत्तर दिन बाद लीक हुआ वीडियो घटना के वक्त दबा कैसे रह गया?

मणिपुर में हिंसा भड़कने के ठीक बाद दो कुकी महिलाओं का गैंगरेप और निर्वस्‍त्र परेड हुआ था, जिसका वीडियो ढाई महीने बाद लीक हुआ। तब तक सरकारी आंकड़े के मुताबिक डेढ़ सौ लोग मारे जा चुके थे। इसके बावजूद देश की संवेदना नहीं जगी थी। सवाल उठता है कि जब घटना की जानकारी मणिपुर में आम थी, तो वह मई में ही खबर क्‍यों नहीं बन सकी? मणिपुर से लौटकर आए रोहिण कुमार की श्रृंखला की दूसरी कड़ी

1. इंफाल में मैतेयी समुदाय का धरना प्रदर्शन | 2 जुलाई | रोहिण कुमार

मणिपुर: आग लगाने की तैयारी तो पहले से थी, 3 मई की रैली होती या नहीं…

मणिपुर में दो समुदायों के बीच हिंसा को जल्‍द ही तीन महीने पूरे हो जाएंगे। प्रधानमंत्री ने केवल एक वाक्‍य अब तक कहा है, वो भी संसद का सत्र शुरू होने से ठीक पहले, संसद के बाहर, भीतर नहीं। सुप्रीम कोर्ट शुरू में लापरवाह रहा, फिर सख्‍त हुआ, लेकिन उसका कुछ हासिल नहीं है। उधर, दर्द और हिंसा की कहानियां दोनों तरफ से बराबर आ रही हैं। संवेदना पाले में बंट गई है। सच्‍चाई धुंधली हो गई है। ऐसे में मणिपुर से लौटकर रोहिण कुमार सुना रहे हैं आंखों देखी, कानों सुनी और महसूस की हुई कहानियां किस्‍तों में। पहली कड़ी प्रस्‍तुत है