Manusmriti

Bharat Mata imagery of RSS

हिन्दुत्व के कल्पना-लोक में स्त्री और RSS के लिए उसके अतीत से कुछ सवाल

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मध्ययुग में पश्चिमी जगत में आधुनिकता के आगमन ने धर्म के वर्चस्व को जो चुनौती दी थी, भारत में अंग्रेजों के आगमन के बाद पैदा हुई परिस्थितियों और राजनीतिक आजादी ने यहां धर्म के प्रभाव को और अधिक सीमित कर दिया। रूढ़िवादी, प्रतिक्रियावादी ताकतों ने समय-समय पर इस बदलाव को बाधित करने की कोशिश की। संविधान निर्माण से लेकर स्त्रियों को अधिकार-संपन्न करने के लिए ‘हिन्‍दू कोड बिल’ को सूत्रबद्ध एवं लागू किए जाने का हिन्दुत्ववादी ताकतों ने जिस तरह से विरोध किया, ऐसी ही बाधाओं का ही परिणाम रहा कि डॉ. आंबेडकर को नेहरू के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा। सुभाष गाताड़े का यह आलेख संविधान-निर्माण के दौरान स्पष्ट तौर पर उजागर हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्त्री-विरोधी विचारों एवं सक्रियताओं की पड़ताल करता है

गुजरात हाइकोर्ट के जज ने बलात्कार पीड़िता के वकील को मनुस्मृति पढ़ने का सुझाव क्यों दिया?

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गुजरात से आने वाले प्रधानमंत्री ने नई संसद में राजदंड को स्‍थापित किया और उसके दस दिन बाद ही गुजरात के उच्‍च न्‍यायालय में जज ने एक बलात्‍कार पीड़िता के वकील को मनुस्मृति पढ़ने की सलाह दे डाली। एक साथ विधायिका और न्यायपालिका में संवैधानिक मूल्य के बजाय मनुस्मृति के मूल्य की स्थापना क्या महज संयोग है?