Trump 2.0 : जहां दो राजनीतिक दल ही नागरिकों की पहचान बन जाएं, वहां आश्चर्य कैसा?
byअमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प का दोबारा राष्ट्रपति बनना चाहे जिन भी कारणों से अहम हो, लेकिन यह आश्चर्यजनक या चौंकाने जैसा नहीं है। अगर एक सदी से ज्यादा समय तक यहां लोकतंत्र किन्हीं कारणों से टिका रहा और ट्रम्प जैसे निरंकुश तत्वों को लगातार छांटता रहा, तो उसके पीछे रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के गोरों के बीच कायम एक लोकतंत्र-विरोधी सहमति थी, जिसकी जड़ें 1870 तक जाती हैं। यह सहमति साठ के दशक में लोकतंत्र के नाम पर जब टूटी, तो इसने राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को दुश्मनी में और दलीय सम्बद्धता को मतदाता पहचान में तब्दील कर डाला। बीते साठ साल के दौरान दोनों राजनीतिक दलों के लगातार छोटे होते गए तम्बू में जाहिर है कोई बड़ा नेता नहीं समा सकता था। स्टीवेन लेवित्सकी और डेनियल जिब्लाट की मशहूर किताब ‘’हाउ डेमोक्रेसीज़ डाई’’ के कुछ अंशों से डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव को समझने की कोशिश