Sarhupur

मैनपुरी का दलित नरसंहार: चार दशक बाद आया फैसला और मुखौटे बदलती जाति की राजनीति

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जुर्म जैसा दिख रहा था दरअसल वैसा था नहीं और इंसाफ जिस रूप में हुआ है उसकी भी जुर्म से संगति बैठा पाना मुश्किल है। इसके बावजूद, सब कुछ सरकार और उसे चलाने वाली जाति के पक्ष में ही रहा, और आज भी है। बयालीस साल पहले हुए साढ़ूपुर नरसंहार में बुधवार को आया फैसला कांग्रेस के पतन और भाजपा के उभार को समझने का एक कारगर मौका है