बेनामी और बेहिसाब कॉरपोरेट चंदे के खिलाफ चार दशक पुराने संवैधानिक विवेक की साझा लड़ाई

अगस्‍त 1997 में नीतीश कुमार ने लोकसभा में एक भाषण दिया था। फरवरी 2023 में राहुल गांधी ने एक भाषण दिया। ढाई दशक में संदर्भ बदल गए, लेकिन मुद्दा एक ही रहा- चुनावों की बेनामी कॉरपोरेट फंडिंग। नीतीश के सुझाव को भाजपा ने कभी नहीं माना। राहुल की जब बारी आई, तो सदन के माइक ही बंद कर दिए गए। पटना में हो रही विपक्षी एकता बैठक के बहाने चुनावों की राजकीय फंडिंग के हक में चार दशक के संसदीय विवेक पर बात कर रहे हैं डॉ. गोपाल कृष्‍ण

इटली में एक अरबपति को मिली सजा भारत के एस्बेस्टस अपराधियों के लिए सबक क्यों है

स्विस अरबपति स्‍तेफन श्‍मीथाइनी को 392 लोगों की हत्‍या के लिए मिली 12 साल की सजा एस्‍बेस्‍टस का धड़ल्‍ले से आयात करने वाली भारत सरकार और यहां उसके कारखाने चलाकर लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ करने वाले उद्योगपतियों के लिए एक जरूरी सबक है। भारत के एस्‍बेस्‍टस अपराधियों का भविष्य स्‍तेफन से अलग नहीं है।