Book Review

A still from Farmers Movement 2020-21

किसान आंदोलन: पांच किताबें जिनमें दर्ज है अन्नदाता की बगावत और किस्मत का इतिहास

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स्‍वतंत्र भारत के इतिहास में उसकी राजधानी की चौहद्दी पर सबसे लंबे समय तक चले किसान आंदोलन को अब पांच साल पूरे हो गए हैं। आजकल पांच साल में स्‍मृतियां धुंधली पड़ जाती हैं। नई घटनाएं तो दिमाग पर तारी हो ही जाती हैं, ऊपर से अतीत को बदलने की कोशिशें भी हो रही हैं। फिलहाल बड़े जन आंदोलनों से तकरीबन खाली हो चुके इस समाज में पांच साल पहले घटे एक व्‍यापक आंदोलन को कैसे याद रखा जाए, कैसे समझा जाए और आगे उस समझ का क्‍या किया जाए, यह सवाल अहम है। किसान आंदोलन पर कुछ किताबें हैं, दस्‍तावेज हैं और पत्रिकाएं भी, जो इस काम को आसान बना सकती हैं। बीते पांच बरस में छपी ऐसी पांच चुनिंदा किताबों का जिक्र कर रहे हैं अभिषेक श्रीवास्‍तव

Indian historical figures depicted in Gyanendra Pandey's book

पुस्तक समीक्षा : भारतीय समाज के ऐतिहासिक किरदार अपने घर की औरतों के लिए कैसे ‘मर्द’ थे?

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बहुत लंबे समय तक लैंगिकता के प्रश्‍न का अध्‍ययन औरतों को केंद्र में रखकर किया गया। आज भी भारतीय नारीवाद खुद को ज्‍यादातर औरतों के सवालों तक ही सीमित रखता है, हालांकि पुरुषों को समझने के लिए उनको केंद्र में लाने का चलन पश्चिम में काफी पहले शुरू हो चुका था। सबाल्‍टर्न इतिहासकार ज्ञानेंद्र पाण्‍डेय की इस साल आई नई किताब ‘मेन ऐट होम’ भारत की कुछ नायकीय विभूतियों के घरेलू व्‍यवहार की पड़ताल कर के घर और बाहर के बीच मर्दानगी की फांक को समझने की कोशिश करती है। इस किताब की समीक्षा अतुल उपाध्‍याय ने की है, जो लोकसंगीत में मर्दानगी के तत्‍वों पर खुद शोध कर रहे हैं

Indira Gandhi

‘इमरजेंसी’ आधी सदी बाद भी दबंग शासकों के लिए आईना क्‍यों है? एक निस्‍संग किताब से कुछ सबक

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इस साल प्रकाशित श्रीनाथ राघवन की इंदिरा गांधी पर लिखी किताब एक ओर सत्ता के काम करने के तरीके उजागर करती है, तो दूसरी तरफ आज के शासकों को चेतावनी भी देती है। पचास साल पहले इस देश में इमरजेंसी लगाने वाली युद्धोत्‍तर काल की पहली दबंग शासक इंदिरा गांधी पर आज की तारीख में कहानी कहना लोकतंत्र की उस नजाकत को उभारने जैसा काम है, जिसका मूल सबक यह है कि लोकतांत्रिक परिवर्तन और पतन दोनों एक ही राह के हमजोली होते हैं। ‘’इंदिरा गांधी ऐंड द ईयर्स दैट ट्रांसफॉर्म्‍ड इंडिया’’ पर अंतरा हालदर की समीक्षा