Caste Crimes

Wife and two sons of deceased Ajay Prajapati

चंदौली में हत्‍या: जाति की जमीन पर जरायम की जजमानी का जिंदा सियासी इतिहास

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जमीन के झगड़े में हुई मामूली सी दिखने वाली एक हत्या कैसे किसी इलाके में सामंतवाद और दबंग जातियों को मिलने वाले राजनीतिक संरक्षण के धागे खोल कर रख देती है, चंदौली के धानापुर का अजय प्रजापति हत्‍याकांड इसका ताजा उदाहरण है। इस मर्डर केस में आरोपितों द्वारा पीड़ित परिवार दी गई महज एक धमकी ने न सिर्फ करजरा गांव, बल्कि समूचे पूर्वांचल में जाति, जुर्म, जमीन और इसकी सियासत के समीकरण का चार दशक पुराना इतिहास जिंदा कर डाला है। चंदौली और गाजीपुर से लौटकर शिव दास की अविकल जमीनी रिपोर्ट

Behmai police check post that was established post massacre in 1981

बेहमई : इंसाफ या 43 साल के शोक का हास्‍यास्‍पद अंत?

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पचहत्‍तर साल के लोकतंत्र में तैंतालीस साल पुराने एक मुकदमे में एक फैसला आया है। मुकदमे में दोनों पक्ष के ज्‍यादातर लोग सिधार चुके हैं। कानपुर के पास बेहमई गांव में बीस लोगों की सामूहिक हत्‍या के आरोप में जिस इकलौते शख्‍स को सजा हुई, वह अस्‍सी साल का है। तीन पीढ़ियां जब अपने पितरों का शोक मनाते गुजर चुकी हैं, तो न्‍याय ऐसा मिला है जिसके जोर से एक पतंग भी न उड़ पाए। कोर्ट ऑर्डर की प्रति भी यहां पहुंचेगी कि नहीं, शक है क्‍योंकि इस गांव में एक अदद सड़क नहीं है। बेहमई से लौटकर नीतू सिंह की फॉलो-अप रिपोर्ट

बांदा: दलित औरत के बलात्कार को हादसा बताकर अपराधियों को बचा रही है पुलिस?

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औरतों से बलात्‍कार के बाद उनका अंग-भंग करने का चलन इधर बीच बहुत तेजी से बढ़ा है। शहरों से शुरू हुआ यह सिलसिला अब गांवों तक पहुंच चुका है। पिछले महीने बांदा में एक दलित औरत के साथ सामूहिक बलात्‍कार के बाद उसका सिर और हाथ काट दिया गया था। आरोपित भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध तीन सवर्ण पुरुष थे। पुलिस की जांच में इसे हादसा बता दिया गया। आंदोलन के दबाव में महज एक गिरफ्तारी हुई, लेकिन धाराएं हलकी कर दी गईं। पतौरा गांव में 31 अक्‍टूबर को हुई जघन्‍य घटना की अविकल फैक्‍ट फाइंडिंग रिपोर्ट