Hindutva

Bulldozer Politics

बीता आम चुनाव क्या हिंदुत्‍व के बुलडोजर की राह में महज एक ठोकर था?

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आम चुनाव के नतीजों के बाद राजनीतिक पंडितों ने दावा किया था कि ‘कमजोर’ हो चुके मोदी को अब भाजपा की वर्चस्‍ववादी राजनीति में नरमी लाने को बाध्‍य होना पड़ेगा। तात्‍कालिक विश्‍लेषण की शक्‍ल में जाहिर यह सदिच्‍छापूर्ण सोच आज बुलडोजर के पैदा किए राष्‍ट्रीय मलबे में कहीं दबी पड़ी है। भारत में कुछ भी नहीं बदला है। हां, तीसरी बार सत्‍ता में आए मोदी को ऐसे विश्‍लेषणों ने एक प्रच्‍छन्‍न वैधता जरूर दे दी, कि यहां लोकतंत्र अभी बच रहा है। प्रोजेक्‍ट सिंडिकेट के सौजन्‍य से देबासीश रॉय चौधरी का लेख

शिवराज के सपनों का ‘अद्वैतलोक’ : जहां सत्य, शिव और सुंदर के अलावा सब कुछ है

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हर नेता अपनी जिंदगी में कम से कम एक प्रतिमा गढ़ना चाहता है। शिवराज सिंह चौहान ने भी एक प्रतिमा गढ़ी- 108 फुट ऊंची आदि शंकराचार्य की। शिव के मस्तक में मशीनों से छेद कर के खड़ी की गई इस प्रतिमा ने संघ के कार्यकर्ताओं को फिरंट कर दिया, जंगलों को नष्ट कर दिया, पहाड़-घाटी के लोगों को उजाड़ दिया। बाढ़ और मानवीय त्रासदी के बीच लोकार्पित की गई तीन हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना पर खंडवा के ओंकारेश्वर से लौटकर अमन गुप्ता की लंबी कहानी