India

Indira Gandhi

‘इमरजेंसी’ आधी सदी बाद भी दबंग शासकों के लिए आईना क्‍यों है? एक निस्‍संग किताब से कुछ सबक

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इस साल प्रकाशित श्रीनाथ राघवन की इंदिरा गांधी पर लिखी किताब एक ओर सत्ता के काम करने के तरीके उजागर करती है, तो दूसरी तरफ आज के शासकों को चेतावनी भी देती है। पचास साल पहले इस देश में इमरजेंसी लगाने वाली युद्धोत्‍तर काल की पहली दबंग शासक इंदिरा गांधी पर आज की तारीख में कहानी कहना लोकतंत्र की उस नजाकत को उभारने जैसा काम है, जिसका मूल सबक यह है कि लोकतांत्रिक परिवर्तन और पतन दोनों एक ही राह के हमजोली होते हैं। ‘’इंदिरा गांधी ऐंड द ईयर्स दैट ट्रांसफॉर्म्‍ड इंडिया’’ पर अंतरा हालदर की समीक्षा

Fire at landfill site of Ghazipur on Delhi-UP border

पश्चिमी यूपी, दूसरा चरण: कचरे में आग लग चुकी है, फैलते धुएं में आठ क्षेत्रों का सीटवार आकलन

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पहले चरण के कम मतदान प्रतिशत ने अचानक सभी राजनीतिक दलों को सक्रिय कर दिया है। दोनों तरफ से पारा चढ़ाया जा रहा है। संघ प्रमुख से लेकर मुख्‍य न्‍यायाधीश तक को सौ परसेंट मतदान की अपील करनी पड़ रही है तो भाजपा का पुराना खमीर सतह पर आ चुका है। ऐसे में उत्‍तर प्रदेश की अगली आठ सीटों का मुकाबला दिलचस्‍प हो गया है। माजिद अली खान बता रहे हैं सीटवार हिसाब

‘बुराई को रोजमर्रा की मामूली चीज बना दिया गया है और चेतावनी का वक्त जा चुका है’!

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अपने निबंध संग्रह ‘आज़ादी’ के फ्रेंच अनुवाद के लिए अरुंधति रॉय द्वारा 2023 यूरोपियन एस्से प्राइज़ फ़ॉर लाइफ़टाइम एचीवमेंट स्वीकार करते समय लौज़ान, स्विट्ज़रलैंड में दिए गए भाषण के प्रासंगिक अंश। अनुवाद रेयाज़ुल हक़ ने किया है।

भारत में लोगों के बुनियादी अधिकारों की हालत औसत से भी खराब: HRMI का 2023 राइट्स ट्रैकर

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डेमोक्रेटिक पार्टी के कई सांसदों ने राष्‍ट्रपति बाइडेन से भारत में धार्मिक असहिष्‍णुता, प्रेस की आजादी, इंटरनेट पर प्रतिबंध और नागरिक समाज समूहों को निशाना बनाए जाने के मुद्दे मोदी के साथ बातचीत में उठाने का दबाव बनाया है। ठीक इसी मौके पर एचआरएमआइ आज अपनी मानवाधिकार रिपोर्ट जारी कर रहा है।