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‘बुराई को रोजमर्रा की मामूली चीज बना दिया गया है और चेतावनी का वक्त जा चुका है’!

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अपने निबंध संग्रह ‘आज़ादी’ के फ्रेंच अनुवाद के लिए अरुंधति रॉय द्वारा 2023 यूरोपियन एस्से प्राइज़ फ़ॉर लाइफ़टाइम एचीवमेंट स्वीकार करते समय लौज़ान, स्विट्ज़रलैंड में दिए गए भाषण के प्रासंगिक अंश। अनुवाद रेयाज़ुल हक़ ने किया है।

भारत में लोगों के बुनियादी अधिकारों की हालत औसत से भी खराब: HRMI का 2023 राइट्स ट्रैकर

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डेमोक्रेटिक पार्टी के कई सांसदों ने राष्‍ट्रपति बाइडेन से भारत में धार्मिक असहिष्‍णुता, प्रेस की आजादी, इंटरनेट पर प्रतिबंध और नागरिक समाज समूहों को निशाना बनाए जाने के मुद्दे मोदी के साथ बातचीत में उठाने का दबाव बनाया है। ठीक इसी मौके पर एचआरएमआइ आज अपनी मानवाधिकार रिपोर्ट जारी कर रहा है।