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Demand for Seperate Bundelkhand sent to PM Modi written by blood

क्या राजनीतिक दलों ने अलग बुंदेलखंड की मांग को इतिहास के कूड़ेदान में डाल दिया?

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बसपा की मुखिया मायावती ने 14 अप्रैल को झांसी में बरसों बाद अलग बुंदेलखंड राज्‍य का मुद्दा एक बार फिर से जिंदा कर दिया। उससे पहले उन्‍होंने बुंदेलखंड की चार सीटों पर उम्‍मीदवार भी बहुत सोच-समझ कर उतारे थे। भाजपा के मौजूदा सांसदों से बुंदेली मतदाताओं का असंतोष और अलग बुंदेलखंड की ताजी हवा क्‍या उसके जातिगत समीकरण को हिलाने का माद्दा रखती है? बड़ा सवाल यह है सत्‍तर साल पुरानी अलग बुंदेलखंड राज्‍य की मांग में अब भी कुछ बचा है या उसे राजनीतिक वर्ग ने पूरी तरह भुला दिया? हमीरपुर से अमन गुप्‍ता की पड़ताल

छतरपुर के पलटा गांव में खनन के दौरान मारे गए टिंकू रेकवार का शोकाकुल परिवार

बुंदेलखंड: अवैध खनन, गुमनाम मौतें और एक अदद तहरीर का इंतजार

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पुलिस नहीं चाहती कि उसके पास मरे हुए लोगों की एफआइआर हो। ठेकेदार और खदान मालिकान भी नहीं चाहते कि कानूनी पचड़े में उनका व्‍यापार फंसे। इसलिए इनके बीच एक अघोषित समझौता है कि उनकी लापरवाही से कोई मजदूर मर जाए तो उसके परिवार का मुंह पैसे से बंद करा दो। कोई बोले तो उसे गायब करवा दो, मरवा दो। मध्‍य प्रदेश के बुंदेलखंड की खदानों में लगातार अनाम मौत मर रहे मजदूरों पर सतीश मालवीय की जमीनी पड़ताल