Peoples Culture

Speckled Cobra in a field near an agricultural worker, WHO

MP : तांत्रिक हो या अफसर, यहां सबके लिए है सांप के जहर में अवसर सिवाय मरने वाले के…

by

कभी सपेरों का देश कहे जाने वाले भारत में सांप के काटे से मरने वालों की संख्‍या पूरी दुनिया में सर्पदंश से होने वाली मौतों की आधी से ज्‍यादा है। अस्‍पतालों का टोटा, अंधविश्‍वास की व्‍याप्ति और विलुप्‍त होते देसी उपचारक समस्‍या को और गहरा कर रहे हैं। जहररोधी उपलब्‍ध करवाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, सरकार के निर्देश, और बीते सात साल से हर 19 सितंबर को मनाए जा रहे अंतरराष्‍ट्रीय सर्पदंश जागरूकता दिवस का कोई असर नहीं पड़ रहा है। उलटे, सांप भी अब भ्रष्‍टाचार की चपेट में आ गए हैं। अपनी तरह का मौलिक सांप घोटाला देखने वाले मध्‍य प्रदेश के सागर से सतीश भारतीय की रिपोर्ट

Manglesh Dabral (16 May 1948 – 9 December 2020)

मंगलेश डबराल के अभाव में बीते तीन साल और संस्कृति से जुड़े कुछ विलंबित लेकिन जरूरी सवाल

by

वे ‘नुकीली चीजों’ की सांस्‍कृतिक काट जानते थे लेकिन उनका सारा संस्‍कृतिबोध धरा का धरा रह गया क्‍योंकि न तो उन्‍होंने पिता की टॉर्च जलायी न बाहर वालों ने आग मांगी। वे बस देखते रहे और रीत गए। शायद कभी कोई सुधी आलोचक मंगलेश जी के रचनाकर्म में छुपी उस चिड़िया को जिंदा तलाशने की कोशिश कर पाए, जिसका नाम संस्‍कृति है और जिसके बसने की जगह इस समाज की सामूहिक स्‍मृति है।