Prashant Kishor

Prashant Kishor, November 20, 2025, Gandhi Ashram

चुनाव से व्यवस्था को बदलने आए प्रशांत किशोर की सियासी बस क्यों छूट गई?

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भारतीय राजनीति के पारंपरिक अखाड़े के लिहाज से बीते कुछ दशकों में प्रशांत किशोर शायद अपने किस्‍म के इकलौते बाहरी हैं जो इतने धूम-धड़ाके और खर्चे-पानी के साथ पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने उतरे। बाकी बाहरियों से उलट, न तो उनके पास नरेंद्र मोदी जैसा संघ-पोषण था और न ही अरविंद केजरीवाल जैसी एनजीओ की पृष्‍ठभूमि। उन्‍होंने कुछ नेताओं के लिए चुनावी रणनीति जरूर बनाई थी, लेकिन अपने मामले में गच्‍चा खा गए। क्‍यों? गोविंदगंज सीट की दिलचस्‍प कहानी के सहारे केवल एक दाने से पूरा भात कच्‍चा रह जाने का आकलन कर रहे हैं अंकित दुबे

Bihar Assembly Elections 2025

‘वोट चोरी’ और SIR के आर-पार, क्या सोच रहा है चुनावी बिहार? जमीनी स्वर और शुरुआती संकेत…

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ऐसा लगा कि समय से पहले ही राहुल गांधी ने एक यात्रा निकाल कर बिहार में चुनावी माहौल जमा दिया था, लेकिन अब उसका असर छीजता दिख रहा है। तेजस्‍वी अपने दम पर अकेले एक नई यात्रा निकाल रहे हैं; मोदी-नीतीश योजनाएं और पैकेज देने में जुट गए हैं; तो विपक्ष की हवा बनाने वाला चुनाव आयोग का एसआइआर 7 अक्‍टूबर तक अदालत में फंस गया है। इस बीच लोग क्‍या सोच रहे हैं? बीस साल से कायम सत्ता की यथास्थिति टूटने की क्‍या कोई भी संभावना है? लगातार आठ दिन चौबीस घंटे बिहार की सड़कों को नाप कर दिल्‍ली लौटे गौरव गुलमोहर का बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर एक पूर्वावलोकन

Jansuraj hoarding in Patna

प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’: गांधी के नाम पर एक और संयोग या संघ का अगला प्रयोग?

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बारह साल पहले गांधी का नाम लेकर आम आदमी के नाम पर दिल्‍ली में एक राजनीतिक पार्टी बनी थी। अबकी गांधी जयंती पर पटना में जन के नाम पर एक और पार्टी बनी है। आम आदमी पार्टी और जन सुराज दोनों के मुखिया देश में नरेंद्र मोदी के राजनीतिक उदय की न सिर्फ समानांतर पैदाइश दिखते हैं, बल्कि दोनों की विचारधारा से लेकर कार्यशैली तक में काफी समानताएं हैं। बिहार असेंबली चुनाव के ठीक पहले जन सुराज के बनने को वहां के लोग कैसे देख रहे हैं? क्‍या यह नई पार्टी कथित राजनीतिक वैक्‍युम में कोई विकल्‍प दे पाएगी? दो अक्‍टूबर को पटना में जन सुराज के अधिवेशन से लौटकर विष्‍णु नारायण की विस्‍तृत रिपोर्ट