चुनाव से व्यवस्था को बदलने आए प्रशांत किशोर की सियासी बस क्यों छूट गई?
byभारतीय राजनीति के पारंपरिक अखाड़े के लिहाज से बीते कुछ दशकों में प्रशांत किशोर शायद अपने किस्म के इकलौते बाहरी हैं जो इतने धूम-धड़ाके और खर्चे-पानी के साथ पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने उतरे। बाकी बाहरियों से उलट, न तो उनके पास नरेंद्र मोदी जैसा संघ-पोषण था और न ही अरविंद केजरीवाल जैसी एनजीओ की पृष्ठभूमि। उन्होंने कुछ नेताओं के लिए चुनावी रणनीति जरूर बनाई थी, लेकिन अपने मामले में गच्चा खा गए। क्यों? गोविंदगंज सीट की दिलचस्प कहानी के सहारे केवल एक दाने से पूरा भात कच्चा रह जाने का आकलन कर रहे हैं अंकित दुबे