Death

Speckled Cobra in a field near an agricultural worker, WHO

MP : तांत्रिक हो या अफसर, यहां सबके लिए है सांप के जहर में अवसर सिवाय मरने वाले के…

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कभी सपेरों का देश कहे जाने वाले भारत में सांप के काटे से मरने वालों की संख्‍या पूरी दुनिया में सर्पदंश से होने वाली मौतों की आधी से ज्‍यादा है। अस्‍पतालों का टोटा, अंधविश्‍वास की व्‍याप्ति और विलुप्‍त होते देसी उपचारक समस्‍या को और गहरा कर रहे हैं। जहररोधी उपलब्‍ध करवाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, सरकार के निर्देश, और बीते सात साल से हर 19 सितंबर को मनाए जा रहे अंतरराष्‍ट्रीय सर्पदंश जागरूकता दिवस का कोई असर नहीं पड़ रहा है। उलटे, सांप भी अब भ्रष्‍टाचार की चपेट में आ गए हैं। अपनी तरह का मौलिक सांप घोटाला देखने वाले मध्‍य प्रदेश के सागर से सतीश भारतीय की रिपोर्ट

छतरपुर के पलटा गांव में खनन के दौरान मारे गए टिंकू रेकवार का शोकाकुल परिवार

बुंदेलखंड: अवैध खनन, गुमनाम मौतें और एक अदद तहरीर का इंतजार

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पुलिस नहीं चाहती कि उसके पास मरे हुए लोगों की एफआइआर हो। ठेकेदार और खदान मालिकान भी नहीं चाहते कि कानूनी पचड़े में उनका व्‍यापार फंसे। इसलिए इनके बीच एक अघोषित समझौता है कि उनकी लापरवाही से कोई मजदूर मर जाए तो उसके परिवार का मुंह पैसे से बंद करा दो। कोई बोले तो उसे गायब करवा दो, मरवा दो। मध्‍य प्रदेश के बुंदेलखंड की खदानों में लगातार अनाम मौत मर रहे मजदूरों पर सतीश मालवीय की जमीनी पड़ताल