Development Model

Flood scene from Malana, Himachal Pradesh

हिमाचल: फिर से बाढ़, फिर वही तबाही! सरकारों ने हिमालय के संकट पर कोई सबक नहीं लिया?

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हिमाचल प्रदेश में पिछले साल आई तबाही के जख्‍म अभी सूखे नहीं थे कि जुलाई के अंत में एक बार फिर बारिश उन्‍हीं इलाकों में सब कुछ बहा ले गई जो आपदा के मारे थे। कुछ जगहें तो बीते वर्षों में लगातार तीसरी बार साफ हो गई। जलवायु परिवर्तन के गहराते असर और राज्‍य की विकास नीतियों के अंधेपन के कारण बार-बार हिमालय का जीवन संकट में पड़ रहा है। हिमालय नीति अभियान ने पिछले साल से लेकर अब तक लगातार सरकारों को विकास-संबंधी सिफारिशें की हैं लेकिन राज्‍य की नीति में कोई बदलाव नहीं आ रहा। अभियान की फैक्‍ट-फाइंडिंग की रोशनी में इस बार की तबाही का एक फॉलो-अप

G-20 के लिए लोगों को उजाड़ने के खिलाफ बोलना भी जुर्म, दिल्ली में रुकवा दिया गया We-20 सम्मेलन

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दिल्‍ली से लेकर वृंदावन, अयोध्‍या, बनारस, ओडिशा, बंगाल यानी समूचे देश में लोगों को उजाड़ा जा रहा है। बहाना है आगामी सितंबर में होने वाला जी-20 शिखर सम्‍मेलन और उसके लिए शहरों का सुंदरीकरण। इस बेदखली, विस्‍थापन और बेघरी के खिलाफ 700 से ज्‍यादा लोग दिल्‍ली में तीन दिन बंद कमरे में विचार-विमर्श करने को जुटे थे। दिल्‍ली पुलिस ने दूसरे दिन माहौल बिगाड़ा और तीसरे दिन के सत्र को होने ही नहीं दिया। यह सम्‍मेलन आधे में ही खत्‍म हो गया।

खंड-खंड उत्तराखंड: ‘विकास’ की राजनीति बनाम विज्ञान के सवाल पर कब बात होगी?

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इस साल की शुरुआत में उत्‍तराखंड के जोशीमठ में जिस बड़े पैमाने पर अचानक भूधंसान देखा गया और मकानों में दरारें आईं, उससे किसी ने कुछ नहीं सीखा। पानी बरसा तो ऑल वेदर सड़कें धंसीं, पहाड़ दरके, बाढ़ आई, लोगों को फिर पलायन करना पड़ा। चारधाम की यात्रा कितनी बार बाधित हुई, इसका हिसाब नहीं है। क्‍या पहाड़ों के विकास मॉडल पर अब भी बात नहीं होगी?