Pakistan

Shanti Majumdar

भुला दी गईं माँओं और सवालिया नागरिकताओं के देश में शांति मजुमदार की कहानी का जी उठना…

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पांच साल पहले नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ देशव्‍यापी आंदोलन हुआ था। आज जब सैकड़ों की संख्‍या में पिछले चार माह से मुस्लिम बांग्‍लाभाषियों को चुन-चुन कर बांग्‍लादेश भेजा रहा है, नागरिकता के दावे रद्द किए जा रहे हैं और सरकारी कागजों का अदालतों में कोई अर्थ नहीं रह गया, सड़कें सूनी हैं। ऐसे में अचानक एक कहानी जिंदा हुई है- बंगाल की उस मां की कहानी, जिसने अपने नौ बच्‍चे धरती पर न्‍योछावर कर दिए फिर भी उसे अंत में यहां शरणार्थी ही माना गया। बीते 26 अगस्‍त को दिल्‍ली में मंचित हुए एक नाटक के बहाने नागरिकता के संकट पर अभिषेक श्रीवास्‍तव की कहानी

नाकाम भूमि सुधार के जिम्मेदार जमींदारों की आपसी लड़ाई का नया चेहरा

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मौजूदा टकराव पाकिस्तानी शासक वर्ग के धड़ों का आपसी टकराव है जिसमें जनहित के किसी सवाल का जिक्र तक नहीं है। इस स्थिति को पाकिस्तानी सत्ता के ढांचे और उसमें फौज की भूमिका के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में समझा रहे हैं मुकेश असीम

पाकिस्तान: क्या सेना ने इस बार इमरान की ताकत भांपने में गलती कर दी है?

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1979 में जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी दिए जाने के बाद पाकिस्तान की पॉलिटिकल क्लास ने सेना के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं दिखाई थी। बेनजीर भुट्टो की हत्या ने सेना के खौफ को और मजबूत ही किया था, लेकिन इस बार स्थिति उलटी है