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भारत के नए आय कर कानून से स्वतंत्र पत्रकार और डिजिटल क्रिएटर क्यों डरे हुए हैं?

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भारत की संसद ने 12 अगस्‍त को आय कर कानून, 2025 पारित किया था। इसके बाद मीडिया में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी कि टैक्‍स अधिकारी अब अपने विस्‍तारित अधिकारों का दुरुपयोग कर के कहीं पत्रकारों के स्रोतों को उजागर न करने लगें, उनकी निगरानी न करने लग जाएं और वित्तीय अपराधों के आरोपों से उन्‍हें निशाना न बनाने लग जाएं। इस संदर्भ में कमेटी टु प्रोटेक्‍ट जर्नलिस्‍ट्स (सीपीजे) की सोमी दास ने सरकार की मीडिया पर बढ़ती हुई निगरानी और नए कर कानून के निहितार्थों पर इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के अपार गुप्‍ता से बात की है।

आंकड़ों का राष्ट्रवाद: डेटा सुरक्षा और निजता की चिंताओं के बीच गांधी के सबक

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संसद का मानसून सत्र शुरू होने से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संक्षिप्‍त संबोधन में कैबिनेट से पारित हो चुके डेटा प्रोटेक्‍शन बिल 2023 का नाम लिया, जिसे इस सत्र में सदन के पटल पर रखा जाना है। ऐसा लगता है कि सरकार नागरिकों के डेटा और निजता को लेकर काफी संवेदनशील है, लेकिन कहानी ठीक उलटी है। ऐसे ही एक बिल डीएनए प्रौद्योगिकी विनियमन विधेयक, 2019 को इस सत्र में वापस लेने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। डेटा, राष्‍ट्रवाद, नागरिकों की जासूसी और निजता के रिश्‍तों को विस्तार से समझा रहे हैं डॉ. गोपाल कृष्‍ण