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Wife and two sons of deceased Ajay Prajapati

चंदौली में हत्‍या: जाति की जमीन पर जरायम की जजमानी का जिंदा सियासी इतिहास

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जमीन के झगड़े में हुई मामूली सी दिखने वाली एक हत्या कैसे किसी इलाके में सामंतवाद और दबंग जातियों को मिलने वाले राजनीतिक संरक्षण के धागे खोल कर रख देती है, चंदौली के धानापुर का अजय प्रजापति हत्‍याकांड इसका ताजा उदाहरण है। इस मर्डर केस में आरोपितों द्वारा पीड़ित परिवार दी गई महज एक धमकी ने न सिर्फ करजरा गांव, बल्कि समूचे पूर्वांचल में जाति, जुर्म, जमीन और इसकी सियासत के समीकरण का चार दशक पुराना इतिहास जिंदा कर डाला है। चंदौली और गाजीपुर से लौटकर शिव दास की अविकल जमीनी रिपोर्ट

मैनपुरी का दलित नरसंहार: चार दशक बाद आया फैसला और मुखौटे बदलती जाति की राजनीति

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जुर्म जैसा दिख रहा था दरअसल वैसा था नहीं और इंसाफ जिस रूप में हुआ है उसकी भी जुर्म से संगति बैठा पाना मुश्किल है। इसके बावजूद, सब कुछ सरकार और उसे चलाने वाली जाति के पक्ष में ही रहा, और आज भी है। बयालीस साल पहले हुए साढ़ूपुर नरसंहार में बुधवार को आया फैसला कांग्रेस के पतन और भाजपा के उभार को समझने का एक कारगर मौका है