पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनावों में हिंसा और गड़बड़ी की शिकायत के बाद चुनाव परिणाम अब कलकत्ता उच्च न्यायालय अंतिम आदेश के अधीन हो गया है। यह परिणाम 11 जुलाई को आना था। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि “यह मुद्दा गंभीर है, यदि राज्य हिंसा को नियंत्रित नहीं कर सकता है तो चुनाव के नतीजे हमारे अंतिम आदेशों के अधीन होंगे।‘’
भारतीय जनता पार्टी के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर कर पुनर्मतदान की मांग की थी। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि पंचायत चुनाव का परिणाम इस याचिका की सुनवाई के नतीजे पर निर्भर करेगा।
अधिकारी ने आरोप लगाया है कि कोलकाता पुलिस ने पंचायत चुनाव के लिए मतदान के दिन केंद्रीय बलों को राज्य के संवेदनशील क्षेत्रों की जानकारी नहीं दी थी।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बंगाल के पंचायत चुनावों में हुई भारी हिंसा पर नाराजगी जताई है। साथ ही हिंसा को रोकने में पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग की कार्रवाई रिपोर्ट पर भी नाराजगी व्यक्त की है। अदालत ने आयोग की रिपोर्ट को असंतोषजनक और अधूरी बताया है।
पंचायत चुनावों में हिंसा को लेकर अदालत का रुख शुरुआत से ही बहुत सख्त बना हुआ है। चुनाव संपन्न होने के बाद पूरी चुनावी प्रक्रिया में हिंसा और गड़बड़ी को लेकर अदालत में तीन जनहित याचिकाएं दाखिल हुई थीं जिन पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बुधवार को चुनाव नतीजे अपने अधीन कर लिए, हालांकि चुनावों को अमान्य घोषित करने वाली उज्ज्वल त्रिवेदी की प्रार्थना याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया। साथ ही राज्य निर्वाचन आयुक्त को बरखास्त करने संबंधी एक याचिका को भी अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आयोग एक स्वतंत्र और संवैधानिक निकाय है इसलिए ऐसी याचिका स्वीकार्य नहीं है।
मतगणना वाले दिन भी हिंसा में चार लोगों के मारे जाने की सूचना है। मंगलवार शाम को भांगर में हुई हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई थी जिनमें दो आइएसएफ के कार्यकर्ता और एक ग्रामीण शामिल है। कथित तौर पर सभी पीड़ितों की मौत गोली लगने से हुई।
‘द टेलीग्राफ’ के सौगत मुखोपाध्याय की रिपोर्ट के अनुसार, 26 वर्षीय आइएसएफ कार्यकर्ता हसन अली और एक अन्य पार्टी कार्यकर्ता रेजाउल गाजी की अज्ञात हमलावरों ने हत्या कर दी। पीड़ितों के परिजनों ने आरोप लगाया कि टीएमसी नेताओं अराबुल इस्लाम और शौकत मोल्ला द्वारा आश्रय प्राप्त गुंडों ने पुलिस की वर्दी पहनी और मंगलवार देर रात आइएसएफ कार्यकर्ताओं पर हमला किया था। भांगर ब्लॉक 2 में एक ग्रामीण राजू मोल्ला को कथित तौर पर उनके घर के बाहर गोलियों से छलनी कर दिया गया। मोल्ला के परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि वह किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं था।
दक्षिण चौबीस परगना के रायदिघी में शरीर पर चाकू के वार के कई निशानों के साथ एक तृणमूल कार्यकर्ता का शव बरामद हुआ। वहीं, बैरकपुर में बीजेपी उम्मीदवार के घर में आग लगाने और पूर्वी मिदनापुर के मोयना से झड़प की खबर आईं।
FUS पर पंचायत चुनाव की पूरी कवरेज
पश्चिम बंगाल में भारी हिंसा और करीब 40 लोगों की मौत के बीच संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बुधवार को उच्च न्यायालय के आदेश से पहले तक आए चुनाव परिणाम में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को भारी सफलता मिली है। अब तक आए नतीजों के अनुसार टीएमसी 34,359 से अधिक सीटें जीत चुकी है और 700 से अधिक सीटों पर आगे हैं। वहीं भाजपा के खाते में अब तक 9545 सीटें आई हैं। सीपीएम को 2885 सीटें मिली हैं, कांग्रेस को 2251 सीटें मिली हैं और 118 पर वह आगे है। अन्य को 2800 सीटें मिली हैं और 113 पर वे आगे चल रहे थे।
जिला परिषद के चुनाव में टीएमसी अब तक 550 अधिक सीटें जीत चुकी है और 200 से अधिक सीटों पर लीड कर रही थी। वहीं मुख्य विपक्षी दल बीजेपी को सिर्फ 19 सीटों पर जीत मिली है।
पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को हुए पंचायत चुनावों के दौरान हुई हिंसा में करीब 15 लोगों की मौत के बाद लगभग 697 बूथों पर पुनर्मतदान के एक दिन बाद मंगलवार सुबह वोटों की गिनती शुरू हुई थी। विपक्षी दल बीजेपी, कांग्रेस और वाम दलों ने इस हिंसा के लिए टीएमसी को जिम्मेदार बताया, लेकिन यह भी सच है कि मरने वालों में सबसे अधिक टीएमसी सदस्य/कार्यकर्ता शामिल हैं। टीएमसी ने भी विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए पूछा है कि यदि वे ही हिंसा में शामिल हैं तो सबसे अधिक उनके लोग इस हिंसा का शिकार क्यों हुए?
इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान मरने वाले 19 लोगों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये के मुआवजे और परिवार के एक सदस्य को होमगार्ड में नौकरी देने की घोषणा की है। ममता बनर्जी ने कहा- ‘’चुनाव अधिसूचना जारी होने से लेकर चुनाव प्रक्रिया के अंत तक कुल 19 लोगों की मौत हुई है, जिनमें हमारे (टीएमसी के) 10 या 12 लोग शामिल हैं। उन सभी मृतकों के परिजनों को सरकार की तरफ से 2-2 लाख रुपये मुआवजा और एक परिवार के एक सदस्य को स्पेशल होम गार्ड की नौकरी दी जाएगी। हम पार्टी के आधार पर भेदभाव नहीं करेंगे। जो मारे गए हैं, उन सभी को सरकार की ओर से मुआवजा और नौकरी दी जाएगी।“
मुख्यमंत्री ने कहा कि 70,000 मतदान केंद्रों में से केवल 60 पर मतदान के दिन हिंसा हुई। उन्होंने कहा, “मुझे दुख है कि कुछ लोगों की जान चली गई। लेकिन ध्यान दें कि ये कुछ विशिष्ट स्थान हैं जो ऐतिहासिक रूप से हिंसा से ग्रस्त हैं।“
भाजपा, कांग्रेस और सीपीएम पर परोक्ष हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि ‘’मुझे बोलते हुए दुख हो रहा है कि राम, श्याम और वाम ने मिलकर हिंसा का इस्तेमाल कर चुनाव को प्रभावित करने की साजिश रची।‘’
ममता बनर्जी ने कहा कि केवल राजनीतिक लाभ के लिए प्रेरित होकर विपक्ष ने दुर्भावनापूर्ण अफवाहें फैलाकर बंगाल का अपमान किया है। इन व्यक्तियों ने बंगाल को बदनाम किया है और इसके गौरव को चोट पहुंचाई है।
बीजेपी द्वारा गठित चार सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम बुधवार को राज्य के दौरे पर पहुंची थी। टीम के ने हिंसा के लिए ममता बनर्जी को दोषी करार दिया। इस पर पलटवार करते हुए ममता ने कहा कि, “जब मणिपुर जल रहा था तब तथ्यान्वेषी टीम कहां थी? जब असम एनआरसी के कारण जल रहा था तब यह टीम कहां थी? कितने आयोगों ने इन स्थानों का दौरा किया? दो वर्षों के भीतर लगभग 154 टीमों ने पश्चिम बंगाल का दौरा किया है।‘’
उन्होंने कहा कि ये तथ्य-खोज समितियां नहीं, बीजेपी की उकसाने वाली टीम है।