न्यू यॉर्क शहर के मेयर पद की चुनावी दौड़ में ज़ोहरान ममदानी की जीत पर दुनिया भर के मुक्तिकामी आंदोलनों का उत्साहित होना स्वाभाविक है। आज भीड़ को गोलबंद करने और मोहभंग में पड़े व नए मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने पर लोकप्रिय दक्षिणपंथी ताकतों का एकाधिकार नहीं रह गया है, यह बात इससे साफ हो गई है। यह काम जनवादी समाजवादी भी बराबर कर सकते हैं।
ममदानी अच्छे से जानते हैं कि उनकी जीत को भीतर से आर्थिक और वित्तीय रूप से चोट पहुंचाने की कोशिशें जरूर की जाएंगी। अमेरिकी सत्ता प्रतिष्ठान की- यानी रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक ‘डीप स्टेट’ दोनों की ही- बुनियादी दिलचस्पी इस बात में है कि कैसे उनके मेयर के कार्यकाल को नाकाम किया जाय। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तो ममदानी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी न्यू यॉर्क के पूर्व डेमोक्रेटिक गवर्नर एंड्र्यू कुओमो को वोट देने की अपील न्यू यॉर्क के मतदाताओं से खुद ही की थी। चूंकि ममदानी कुर्सी पर बैठ चुके हैं, तो ट्रम्प के लोकप्रिय समर्थक और मुख्यधारा के डेमोक्रेट अब अचानक एक ही भाषा में बोलना चालू कर देंगे। वे ममदानी को नाकाम दिखाने के लिए सब कुछ करेंगे। ट्रम्प तो नेशनल गार्ड की तैनाती को वैध ठहराने के लिए कोई ‘इमरजेंसी’ घोषणा लेकर भी आ सकते हैं।
वामपंथियों के लिए यह न सिर्फ कुछ करने का अवसर है, बल्कि बड़ी तस्वीर के बारे में सोचने का वक्त भी है। संयुक्त राज्य अमेरिका आज दोदलीय राजनैतिक तंत्र से चारदलीय में तब्दील हो रहा है। इनमें सत्ता प्रतिष्ठान का हिस्सा रहने वाले रिपब्लिकन, सत्ता प्रतिष्ठान का हिस्सा रहने वाले डेमोक्रेट, उग्र दक्षिणपंथी और समाजवादी डेमोक्रेट घटक शामिल हैं। आज हम यहां नए किस्म के गठबंधन कायम होते देख पा रहे हैं जो परंपरागत दलीय विभाजन के आर-पार विस्तारित है। याद करें, 2020 में जो बाइडेन ने इशारा किया था कि वे एक नरम रिपब्लिकन को उपराष्ट्रपति के रूप में नामांकित कर सकते हैं जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा बाइडेन के आधिकारिक नामांकन के बाद ट्रम्प के पूर्व रणनीतिकार रस्टीव बैनन ने वरमॉन्ट से समाजवादी डेमोक्रेट सिनेटर बर्नी सान्डर्स के समर्थकों से अपील की थी कि वे ट्रम्प को वोट करें।
आज उस स्थिति से बड़ा अंतर यह आया है कि जहां ट्रम्प ने रिपब्लिकन सत्ता प्रतिष्ठान पर अपने लोकरंजक तरीकों से आसानी से प्रभुत्व जमा लिया (जिसका स्पष्ट साक्ष्य, यदि जरूरी हो, तो साधारण कामगारों के प्रति उनके पाखंडी सरोकार में देखा जा सकता है), वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर विभाजन ओर मजबूत होता जा रहा है। वास्तव में, सत्ता प्रतिष्ठान के डेमोक्रेटिक वाले धड़े और सान्डर्स के समाजवादी धड़े के बीच चल रहा संघर्ष ही आज की तारीख में अमेरिका की खालिस राजनीतिक लड़ाई है। इसलिए, जैसा कि द गार्डियन की एमा ब्रोकेस ने लिखा था: ‘’ममदानी को सबसे बड़ा खतरा डोनाल्ड ट्रम्प से नहीं, डेमोक्रेटिक ओल्ड गार्ड से है।‘’
यहां हम दो तरह की शत्रुताएं (विरोधाभास) देख पा रहे हैं: पहला ट्रम्प और उदारपंथी सत्ता प्रतिष्ठान के बीच है, दूसरा डेमोक्रेटिक पार्टी में सान्डर्स के धड़े और बाकी अन्य राजनीतिक ताकतों के बीच है। ट्रम्प के खिलाफ उनके पहले कार्यकाल में चली महाभियोग की कार्यवाही सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा नैतिक नेतृत्व व विश्वसनीयता को दोबारा हासिल करने की एक बेचैन कोशिश थी, लेकिन कुल मिलाकर वह पाखंड की एक हास्यास्पद कवायद बनकर रह गई चूंकि उस प्रक्रिया में सत्ता प्रतिष्ठान के अपने छेद भी खुलकर सामने आ गए। यानी, ट्रम्प की खुली नंगई ने बस वही सब सामने लाकर धर दिया जो वहां पहले से मौजूद था।
सान्डर्स का धड़ा यह साफ-साफ देख पा रहा है। वह जानता है कि अब पीछे जाने का रास्ता नहीं बचा और अमेरिका के राजनैतिक जगत को उग्र बदलावकारी ढंग से दोबारा गढ़ा जाना होगा। ममदानी इसलिए जीत पाए क्योंकि उन्होंने वामपंथ के लिए वही किया जो ट्रम्प ने दक्षिणपंथ के लिए किया। यानी, ममदानी ने मध्यमार्गियों को खोने की चिंता किए बगैर अपने उग्र बदलावकारी पक्ष को खुलकर सामने रखा।
जो चार ताकतें आज अमेरिकी राजनीति में मौजूद हैं, वे अलग-अलग स्तरों पर सक्रिय हैं। दोनों मरणासन्न दल (मुख्यधारा के पुराने रिपब्लिकन और डेमोक्रेट) अपनी यथास्थिति में कैद हैं जिनके पास देश के लिए कोई गंभीर दृष्टि नहीं है जबकि ट्रम्प के लोकरंजकतावादी और समाजवादी डेमोक्रेट वास्तविक राजनीतिक आंदोलनों की नुमाइंदगी कर रहे हैं। इस संदर्भ में, सच्चा और सार्थक चुनाव केवल ट्रम्प और डेमोक्रेट समाजवादियों के बीच ही बचता है।
तो क्या डेमोक्रेट समाजवादियों को डेमोक्रेटिक पार्टी से आधिकारिक रूप से अब अलग हो जाना चाहिए? यहां मैं सिद्धांतजन्य व्यवहारिकता की सलाह दूंगा: आप पहले अपने उन केंद्रीय लक्ष्यों पर फोकस करें जो आपके अस्तित्व से ताल्लुक रखते हैं, फिर हर उस चीज को रास्ता दें जो आपके उन लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में कारगर हों। यानी, चुनावी लोकतंत्र को तब तक गले लगाइए जब तक वह काम कर रहा है लेकिन जब हालात मांग करें तो लोकप्रिय गोलबंदी या और भी ज्यादा उग्र तरीके अपनाएं।
मेरे यह कहने का क्या मतलब है, उसे एक हालिया उदाहरण से समझा जाए। बीती जुलाई में ट्रम्प के साथ नाटकीय ढंग से अपना रिश्ता टूटने के बाद एलन मस्क ने अपनी ‘अमेरिका पार्टी’ बनाने की घोषणा की थी। मस्क अमेरिका में नहीं जन्मे हैं इसलिए वे राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ सकते, फिर भी उन्होंने लोकप्रियतावाद के ऊपर प्रौद्योगिकीशाही को तरजीह देते हुए ट्रम्प को निपटाने की कोशिश की। नतीजा, उनका प्रोजेक्ट खड़ा ही नहीं हो सका।
इसके उलट, ब्रिटेन में ज़ारा सुलताना और जेरेमी कॉर्बिन की नई वामपंथी पार्टी को देखें, जो अच्छे संकेत दे रही है। कुछ सर्वेक्षण दिखाते हैं कि करीब एक-तिहाई युवा आबादी और लेबर पार्टी के मतदाता अपनी वफादारी बदल कर इस पार्टी के साथ जुड़ने को तैयार हैं। पार्टी की किस्मत पर बेशक अभी अनिश्चय कायम है, बावजूद इसके दोनों नेता सार्वजनिक रूप से आपस में बहुत जल्द भिड़ गए, जैसा कि वामपंथी दलों को प्राय: सुहाता है।
अब ब्रिटेन में अगर कोई सच्चा और सार्थक चुनाव होना है, तो वह निगेल फरागे के धुर दक्षिणपंथी दल रिफॉर्म यूके और नई वामपंथी पार्टी के बीच ही होगा। ऐसे में उदासीन पड़ी लेबर पार्टी हाशिये पर मृतप्राय पड़े सनकी कंजर्वेटिवों के साथ चली जाएगी। यह सच है कि कोई भी आसानी से बता सकता है कि ऐसी सीधी लड़ाई में जीत फरागे की ही होगी, ठीक वैसे ही जैसे 2019 में बोरिस जॉनसन ने कॉर्बिन को हरा दिया था। बावजूद इसके, कॉर्बिन इस मामले में कम से कम कामयाब रहे कि कुछ समय तक उन्होंने लेबर पर अपनी पकड़ कायम रखी जिसके चलते समूचा सत्ता प्रतिष्ठान हिला रहा।
जब सर्वश्रेष्ठ रणनीति पर फैसला लेने का सवाल सामने हो, तो अंतत: इसका कोई सैद्धांतिक जवाब नहीं दिया जा सकता। कभी-कभार आपको एक बड़ी और अहम पार्टी को कब्जाने की कोशिशें करनी चाहिए, तो कभी उससे अलग हो जाना ही जरूरी होता है। मेरा मानना है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर फिलहाल बने रहना ममदानी का सही फैसला था, चूंकि उसके सहारे उन्हें पार्टी के लोकप्रिय जनाधार को सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ गोलबंद करने में सहूलियत मिली। अगर वे तीनों राजनीतिक ताकतों से एक साथ और अकेले लड़ने की कोशिश करते तो वे निश्चित ही हार जाते।
अब चूंकि वे जीत चुके हैं, तो ममदानी को मजबूत और सधे कदमों से न्यू यॉर्क प्रांत में डेमोक्रेटिक पार्टी पर कब्जा करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। साथ ही अमेरिका भर में डेमोक्रेट समाजवादियों के साथ संपर्कों का एक नेटवर्क विकसित करना चाहिए और सान्डर्स की सलाह को मानते हुए उन कम आय वाले श्रमिकों व किसानों को महीन ढंग से संबोधित करना चाहिए, जिन्होंने ट्रम्प को वोट दिया था। ममदानी की राजनीतिक परियोजना का भविष्य उदासीन मध्यमार्गियों को जीतने में नहीं, बल्कि ट्रम्प के हताश वोटरों को छीलछाल कर अपनी ओर खींचने में निहित है। कामगार तबके के ट्रम्प समर्थकों का दिल केवल एक उग्र वामपंथी ही जीत सकता है- और यही वह तबका है जिसका सत्ता के प्रति अविश्वास पूरी तरह जायज़ है।
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