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Manikarnika Ghat Varanasi

दस साल बनारस : क्योटो के सपने में जागता, खुली आंख हारता एक शहर…

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‘बना रहे बनारस’- काशी के लोग न अब यह बात कहते हैं, न ही यहां कोई इसे सुनना पसंद करता है। बनारस का आदमी चौबीसों घंटे महसूस कर रहा है कि बनारस सदियों से जैसा था न तो वैसा रह गया, न आगे ही इसका कुछ बन पाएगा। दस साल से क्‍योटो देखने का सपना संजोए बनारसियों के साथ जो वीभत्‍स खेल हुआ है उसके बाद उनकी स्थिति ऐसी है कि न तो कुछ कहा ही जा रहा है, न कहे बिन रहा ही जा रहा है। फिर भी सब कह रहे हैं, जीतना नरेंद्र मोदी को ही है। बनारस का 2014 से 2024 तक का सफरनामा अभिषेक श्रीवास्‍तव की कलम से

Narendra Modi and Mohan Bhagwat

आत्मनिर्भर भाजपा : क्या नाक से बड़ी हो चुकी है नथ?

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भाजपा अब अपने बूते काम करने में समर्थ है और आरएसएस पर उसकी निर्भरता नहीं रही- सत्‍ताधारी पार्टी का अध्‍यक्ष अपनी मातृ संस्‍था पर ऐसा बयान देकर निकल जाए और देश में कहीं चूं तक न हो? ऐसा ही बयान यदि कांग्रेस अध्‍यक्ष ने गांधी परिवार के बारे में दिया होता तो विवाद की सहज कल्‍पना की जा सकती है। क्‍या हैं इस बयान के निहितार्थ? संघ-भाजपा के रहस्‍यमय रिश्‍तों पर व्‍यालोक की पड़ताल

Representational picture of left flag between BJP

पश्चिम बंगाल: पुराने गढ़ जादवपुर में राम और अवाम की लड़ाई में भ्रमित वाम

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पश्चिम बंगाल के आखिरी चरण में मतदान कोलकाता और उसके आसपास भद्रलोक के इलाके में पहुंच रहा है। यहां का अभिजात्‍य वाम समर्थक बौद्धिक वर्ग जहां इस बार उदासीन दिखता है, वहीं गांव-कस्‍बों के लोगों के बीच तृणमूल के कल्‍याणकारी लाभों की चर्चा है जबकि भाजपा उसके भ्रष्‍टाचार को मुद्दा बनाए हुए है। जमीन से नित्‍यानंद गायेन की रिपोर्ट

A demonstrator holds a placard during a protest against the release of the convicts in Bilkis Bano case

नए भारत में बलात्कारियों का संरक्षण : कैसे अच्छे दिन? किसके अच्छे दिन?

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बीते कुछ बरसों के दौरान भारत में यौन अपराधों और इनके केस में सजा होने के बीच बहुत गहरी खाई पनपी है। पीड़ितों की खुदकशी से लेकर उन्‍हीं पर पलट कर मुकदमा किया जाना, अपराधियों का माल्‍यार्पण, सरवाइवर के बयान पर संदेह खड़ा किया जाना, और आखिरकार सजा मिलने पर भी बलात्कारियों का जमानत पर बाहर निकल आना दंडमुक्ति की फैलती संस्कृति का पता देता है। 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आने से पहले राज्यसत्ता और पितृसत्ता ने इसकी जमीन बना दी थी। नारीवादी लेखिका-कार्यकर्ता रंजना पाढ़ी की विस्तृत पड़ताल

PM Modi's first elecion meeting in Haryana on May 18, 2024 when the lotus came down

हरियाणा: किसानों, नौजवानों और पहलवानों ने मिलकर भाजपा को तितरफा घेर लिया है!

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चार साल से हरियाणा केंद्र सरकार के गले की फांस बना हुआ है। पहले किसान, फिर नौजवान और अंत में पहलवान, सबने एक-एक कर के अपने गांवों से लेकर दिल्‍ली तक मोर्चा लगाया। हालत यह हो गई कि आम चुनाव से पहले मुख्‍यमंत्री बदलना पड़ा। फिर राज्‍य सरकार पर ही सियासी संकट छा गया। किसी तरह बात संभली, तो प्रधानमंत्री की पहली जनसभा में भाजपा का चुनाव चिह्न उनकी नाक के ठीक नीचे से लुढ़क गया। हरियाणा की दस संसदीय सीटों पर 25 मई को होने जा रहे मतदान से ठीक पहले मनदीप पुनिया की जमीन से सीधी और विस्‍तृत पड़ताल

A view of Saryu river in Ayodhya from Ghats

रामराज में नौका विहार : चार माह बाद नई अयोध्या का एक ताज़ा सफरनामा

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इस आम चुनाव में राम मंदिर यदि वाकई कोई मुद्दा था, तो आज उसको भुनाये जाने की अंतिम तारीख है। आज अयोध्‍या के लोग वोट डाल रहे हैं। बरसों के संघर्ष के बाद भगवान राम पुनर्वास हुआ तो, तो रामाधार का आधार ही छिन गया है और वह वनवास पर चला गया है। 2024 की अयोध्‍या इंसान की सामूहिक विडम्‍बनाओं का नाम है, ऐसा यहां घूमते हुए प्रतीत होता है। राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्‍ठा के चार महीने बाद सफरनामे की शक्‍ल में नीतू सिंह की फॉलो-अप रपट

Demand for Seperate Bundelkhand sent to PM Modi written by blood

क्या राजनीतिक दलों ने अलग बुंदेलखंड की मांग को इतिहास के कूड़ेदान में डाल दिया?

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बसपा की मुखिया मायावती ने 14 अप्रैल को झांसी में बरसों बाद अलग बुंदेलखंड राज्‍य का मुद्दा एक बार फिर से जिंदा कर दिया। उससे पहले उन्‍होंने बुंदेलखंड की चार सीटों पर उम्‍मीदवार भी बहुत सोच-समझ कर उतारे थे। भाजपा के मौजूदा सांसदों से बुंदेली मतदाताओं का असंतोष और अलग बुंदेलखंड की ताजी हवा क्‍या उसके जातिगत समीकरण को हिलाने का माद्दा रखती है? बड़ा सवाल यह है सत्‍तर साल पुरानी अलग बुंदेलखंड राज्‍य की मांग में अब भी कुछ बचा है या उसे राजनीतिक वर्ग ने पूरी तरह भुला दिया? हमीरपुर से अमन गुप्‍ता की पड़ताल

Mother of a victim of Hamirpur Double Rape 2024 in her home

यूपी : बेहतर कानून व्यवस्था के छद्म को भेद रहा है आधी आबादी पर फैलता हुआ अंधेरा

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उत्‍तर प्रदेश में भाजपा को वोट देने का इकलौता कारण बेहतर लॉ ऐंड ऑर्डर का दावा है। इस दावे के पीछे दर्जनों आत्‍महत्‍याएं और हजारों बलात्‍कार छुपा लिए गए हैं। कानून वाकई इतना चाक-चौबंद है कि बलात्‍कार के बाद लड़कियां रहस्‍यमय ढंग से मर जा रही हैं, उनके बाप इंसाफ न मिलने पर खुदकशी कर ले रहे हैं और पुलिस दोनों को आत्‍महत्‍या बताकर केस बंद कर दे रही है। बीती फरवरी में हुआ हमीरपुर डबल रेप कांड ऐसी ही तीन मौतें लेकर आया था। चार दशक बाद कोई प्रधानमंत्री हमीरपुर गया, लेकिन केवल नदी जोड़ने की बात कर के चला आया। बलात्‍कृत-मृत दलित लड़कियों के टूटे हुए परिजन ताकते ही रह गए। नीतू सिंह की फॉलो-अप रिपोर्ट

Unnao Gangrape 2022 victim's house

उन्नाव गैंगरेप 2022 : चुनाव आ गया, इस दरवाजे अब तक कोई नहीं आया…

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उन्‍नाव में चुनाव है। हाथरस में हो चुका। बांदा में 20 मई को होना है। ऐसे तमाम शहरों को एक चीज जोड़ती है- बलात्‍कार। बीते बरसों में उत्‍तर प्रदेश में जितने जघन्‍य रेप कांड हुए हैं, और कहीं नहीं हुए। सबसे ज्‍यादा हल्‍ला भी यहीं मचा। ज्‍यादातर कांड दलित औरतों के साथ हुए हैं। विडम्‍बना है कि इस आम चुनाव में दलित वोटों के पीछे पड़े सत्‍ता और विपक्ष दोनों को वे दलित परिवार याद नहीं जो बरसों से अपने ही घर में कैद हैं, घुट रहे हैं, लगातार जुल्‍म झेल रहे हैं। ग्‍यारह साल की दलित बच्‍ची से 2022 में उन्‍नाव में हुए गैंगरेप पर नीतू सिंह की फॉलो-अप रिपोर्ट

Nitish and Modi together on a hoarding

बिहार : संघ-भाजपा की दाल यहां अकेले क्यों नहीं गल पाती है?

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पिछले आम चुनाव में बिहार में एक को छोड़कर सारी सीटें जीतने वाले एनडीए के पास इस बार बहुत कुछ पाने को नहीं है, लेकिन गिरने की गुंजाइश बरकरार है। नरेंद्र मोदी की 12 मई को पटना में होने वाली भव्‍य रैली संभव है इस गिरावट को थाम ले, लेकिन सवाल है कि मोदी लहर और हिंदुत्‍व के चरम उभार के दौर में भी बिहार में भाजपा को गठबंधन का सहारा क्‍यों लेना पड़ रहा है? क्‍या चीज भाजपा के लिए बिहार को हिंदी पट्टी में अपवाद बनाए हुए है? और क्‍या अगले साल अपने दम पर बिहार में भाजपा सरकार बना सकेगी? राहुल कुमार गौरव की पड़ताल