Capitalism

नोटबंदी 2.0 : काला धन वापस आएगा, लेकिन सफेद हो कर!

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बैंकों की हालत फिर खस्ता हो चुकी है। इसको बचाने के लिए सरकार द्वारा बैंकों का आपसी विलय करना भी काम नहीं आया क्योंकि उद्योगपतियों ने नोटबंदी के बाद लिए गए कर्ज की वापसी की ही नहीं, जो कि उनकी फितरत है

पूंजीवाद की मौत करीब है

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पूंजीवादी व्यवस्था का पतन अब बहुत निकट आ चला है। जितना आप और हम सोच रहे हैं उससे कहीं निकट। केवल एक बात है जो हम नहीं जानते। वह है ट्रिगर इवेंट। वह द्विपक्षीय तनाव भी हो सकता है जिसकी पर्याप्त सम्भावनाएं भारत-पाक, भारत-चीन, चीन-अमरीका, अमरीका-रूस के  बीच देखी जा सकती हैं। वह ब्रेगज़िट या कोई अन्य घटना से भी हो सकता है। लेकिन यह निश्चित हो चला है कि‍ अब इसे टाला नहीं जा सकता।