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gayatri chakravorty spivak

JNU विवाद : दक्षिणपंथ की मिट्टी में दफन हो रहा पहचान का कफन

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JNU में कुछ अच्‍छा हो या बुरा, सब कुछ विवाद का विषय बन जाता है। पिछले कुछेक साल से यह रोग इस विश्‍व-प्रसिद्ध युनिवर्सिटी को लग चुका है। कहां तो गायत्री चक्रवर्ती स्पिवाक के यहां आने और उनके दिए व्‍याख्‍यान पर बात होनी चाहिए थी, और कहां एक छात्र की प्रतिवाद में उठी उंगली खबर बन गई। पाले बंट गए। गाली-गलौज शुरू हो गई। बौद्धिक विमर्श की परंपरा वाला एक परिसर आखिर इस पतन तक कैसे पहुंचा? ताजा विवाद के अधूरे पहलुओं पर प्रकाश डाल रहे हैं अतुल उपाध्‍याय

A demonstrator holds a placard during a protest against the release of the convicts in Bilkis Bano case

नए भारत में बलात्कारियों का संरक्षण : कैसे अच्छे दिन? किसके अच्छे दिन?

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बीते कुछ बरसों के दौरान भारत में यौन अपराधों और इनके केस में सजा होने के बीच बहुत गहरी खाई पनपी है। पीड़ितों की खुदकशी से लेकर उन्‍हीं पर पलट कर मुकदमा किया जाना, अपराधियों का माल्‍यार्पण, सरवाइवर के बयान पर संदेह खड़ा किया जाना, और आखिरकार सजा मिलने पर भी बलात्कारियों का जमानत पर बाहर निकल आना दंडमुक्ति की फैलती संस्कृति का पता देता है। 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आने से पहले राज्यसत्ता और पितृसत्ता ने इसकी जमीन बना दी थी। नारीवादी लेखिका-कार्यकर्ता रंजना पाढ़ी की विस्तृत पड़ताल

Mother of a victim of Hamirpur Double Rape 2024 in her home

यूपी : बेहतर कानून व्यवस्था के छद्म को भेद रहा है आधी आबादी पर फैलता हुआ अंधेरा

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उत्‍तर प्रदेश में भाजपा को वोट देने का इकलौता कारण बेहतर लॉ ऐंड ऑर्डर का दावा है। इस दावे के पीछे दर्जनों आत्‍महत्‍याएं और हजारों बलात्‍कार छुपा लिए गए हैं। कानून वाकई इतना चाक-चौबंद है कि बलात्‍कार के बाद लड़कियां रहस्‍यमय ढंग से मर जा रही हैं, उनके बाप इंसाफ न मिलने पर खुदकशी कर ले रहे हैं और पुलिस दोनों को आत्‍महत्‍या बताकर केस बंद कर दे रही है। बीती फरवरी में हुआ हमीरपुर डबल रेप कांड ऐसी ही तीन मौतें लेकर आया था। चार दशक बाद कोई प्रधानमंत्री हमीरपुर गया, लेकिन केवल नदी जोड़ने की बात कर के चला आया। बलात्‍कृत-मृत दलित लड़कियों के टूटे हुए परिजन ताकते ही रह गए। नीतू सिंह की फॉलो-अप रिपोर्ट

Loksabha Elections 2024 Phase 1 Western UP

पश्चिमी यूपी, पहला चरण : आठ सीटों पर मुस्लिम वोटों का बिखराव ही तय करेगा भाजपा की किस्मत

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पहले चरण के मतदान में अब केवल तीन दिन बचे हैं लेकिन पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में चुनाव खड़ा नहीं हो पाया है। हालात ये हैं कि यहां समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की पहली साझा प्रेस कॉन्‍फ्रेंस और प्रियंका गांधी की जनसभा प्रचार के आखिरी दिन प्रस्‍तावित है। यहां की आठ सीटों में अधिकतर पर किसी न किसी तीसरी ताकत ने विपक्षी गठबंधन और भाजपा दोनों को असमंजस में डाल रखा है। लिहाजा, वोटर बिलकुल खामोश है और प्रेक्षक भ्रमित। यूपी में पहले चरण का सीट दर सीट तथ्‍यात्‍मक आकलन वरिष्‍ठ पत्रकार माजिद अली खान की नजर से

बांदा: दलित औरत के बलात्कार को हादसा बताकर अपराधियों को बचा रही है पुलिस?

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औरतों से बलात्‍कार के बाद उनका अंग-भंग करने का चलन इधर बीच बहुत तेजी से बढ़ा है। शहरों से शुरू हुआ यह सिलसिला अब गांवों तक पहुंच चुका है। पिछले महीने बांदा में एक दलित औरत के साथ सामूहिक बलात्‍कार के बाद उसका सिर और हाथ काट दिया गया था। आरोपित भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध तीन सवर्ण पुरुष थे। पुलिस की जांच में इसे हादसा बता दिया गया। आंदोलन के दबाव में महज एक गिरफ्तारी हुई, लेकिन धाराएं हलकी कर दी गईं। पतौरा गांव में 31 अक्‍टूबर को हुई जघन्‍य घटना की अविकल फैक्‍ट फाइंडिंग रिपोर्ट

तीन साल बाद भूलगढ़ी: हाथरस की वह घटना, जिसने लोकतंत्र को नाकाम कर दिया

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आज हाथरस गैंगरेप कांड को तीन साल हो गए। तकनीकी रूप से साबित किया जा चुका है कि यह रेप कांड नहीं था। हत्‍या की मंशा भी नहीं थी। केवल एक आदमी जेल में है, तीन बाहर। परिवार कहीं ज्‍यादा सघन कैद में, जिसका घर सीआरपीएफ की छावनी बन चुका है। गांव से बाहर निकलने की छटपटाहट अदालतों में नाकाम हो चुकी है, हाथरस से शुरू हुई बंटवारे की राजनीति कामयाब। एक जीता-जागता गांव कैसे तीन साल में मरघट बन गया, बता रही हैं गौरव गुलमोहर के साथ भूलगढ़ी से लौटकर नीतू सिंह इस फॉलो-अप स्‍टोरी में

दिल्ली की बाढ़ में डूब गई IIT के एक और छात्र की ‘संस्थागत हत्या’

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रोहित वेमुला की खुदकुशी के सात साल भी कुछ नहीं बदला है। एक गुबार उठा था 2016 में, फिर सब कुछ वापस वैसा ही हो गया। आइआइटी के परिसरों में 33वें छात्र की मौत बीती 8 जुलाई को हुई। हफ्ता भर बीत चुका है, लेकिन अब तक किसी ने आयुष की मौत की सुध नहीं ली है। दिल्‍ली की बाढ़ पर खबरों की बाढ़ में ये खबर डूब चुकी है।

BK-5: बिना सुनवाई, बिना चार्जशीट, एक अनंत कैद के पांच साल

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तीन साल पहले जिस बंबई हाइकोर्ट ने गौतम नवलखा के चश्‍मे के मामले में इंसानियत का हवाला दिया था उसी ने वरवरा राव को जमानत पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने के लिए हैदराबाद जाने से रोक दिया। भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में कैद सोलह में से पांच की गिरफ्तारी को पांच साल बीते 6 जून को पूरा हो गया। सुनवाई शुरू होने के अब तक कोई संकेत नहीं हैं। यह कैद अनंत होती जा रही है

शौचालय: एक हत्यारी कथा

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मध्य प्रदेश के शिवपुरी ज़िले के एक गाँव भावखेड़ी में 25 सितम्बर को दो बच्चों की नृशंस हत्या कर दी गयी थी। मीडिया में कारण यह आया था कि उन्हें खुले में शौच करते देख उसी गाँव व्यक्ति को गुस्सा आ गया और उसने बच्चों को मार डाला। सीपीआइ का एक छह सदस्यीय जांच दल मामले की तहक़ीक़ात के लिए 1अक्टूबर 2019 को शिवपुरी और भावखेड़ी गया था। ग्रामीणों और पीड़ित परिवार से तथा अन्य कर्मचारियों, शिक्षकों व बच्चों से बात करने पर जो तस्वीर उभरी, उसके आधार पर दो हत्याओं की पूरी कहानी सामने आयी है