West Bengal

BJP Office in Durgapur set on fire by TMC members

पश्चिम बंगाल: न सांप्रदायिकता हारी है, न विकास जीता है

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पश्चिम बंगाल के चुनावी मैदान में चार दलों के होने के बावजूद मतदाताओं के लिए महज भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच आर-पार बंट गया लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद अब हिंसक रंग दिखा रहा है। केंद्र में सरकार बन चुकी है, लेकिन मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे ‘अवैध और अलोकतांत्रिक’ करार दिया है। भाजपा फिलहाल चुप है, लेकिन बंगाल में उसकी सीटों में आई गिरावट को सांप्रदायिकता पर जनादेश मानना बड़ी भूल होगी। चुनाव परिणामों के बाद बंगाल के मतदाताओं से बातचीत के आधार पर हिमांशु शेखर झा का फॉलो-अप

Representational picture of left flag between BJP

पश्चिम बंगाल: पुराने गढ़ जादवपुर में राम और अवाम की लड़ाई में भ्रमित वाम

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पश्चिम बंगाल के आखिरी चरण में मतदान कोलकाता और उसके आसपास भद्रलोक के इलाके में पहुंच रहा है। यहां का अभिजात्‍य वाम समर्थक बौद्धिक वर्ग जहां इस बार उदासीन दिखता है, वहीं गांव-कस्‍बों के लोगों के बीच तृणमूल के कल्‍याणकारी लाभों की चर्चा है जबकि भाजपा उसके भ्रष्‍टाचार को मुद्दा बनाए हुए है। जमीन से नित्‍यानंद गायेन की रिपोर्ट

‘महुआ दीदी चुप नहीं बैठेंगी!’ अपनी महिला सांसद के निष्कासन पर गरमा रहा है बंगाल

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महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित किए जाने के बाद समूचा राजनीतिक विपक्ष तो इस कदम का विरोध कर ही रहा है, वहीं समूचे बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन भी जारी है। बंगाल के आम लोग भी इस कदम को भाजपा का राजनीतिक बदला बता रहे हैं। राजधानी कोलकाता से लेकर बंगाल के गांव-कस्‍बों में सार्वजनिक स्थानों पर चल रही सियासी चर्चाओं का हाल बता रहे हैं नित्‍यानंद गायेन

“मेरा दिल टूट गया है, बंगाल का भविष्य अंधकारमय है”: अपर्णा सेन का ममता बनर्जी को खुला पत्र

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कभी ममता बनर्जी के पीछे बंगाल का तकरीबन समूचा बौद्धिक समाज खड़ा हुआ था। महज तीन साल पहले फिल्‍मकार और अभिनेत्री अपर्णा सेन का नाम उन 49 बौद्धिकों में था जिन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र लिखकर मॉब लिंचिंग जैसी नफरत भरी घटनाओं के लिए सरकार की निंदा की थी। उस समय खुद ममता बनर्जी ने अपर्णा सेन ओर अन्‍य के लिखे का समर्थन किया था। कहानी अब पलट चुकी है।

प. बंगाल: भाजपा की याचिका में अटक गया पंचायत चुनाव परिणाम, ममता के निशाने पर ‘राम, श्याम, वाम’

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पंचायत चुनावों में हिंसा को लेकर अदालत का रुख शुरुआत से ही बहुत सख्त बना हुआ है। चुनाव संपन्न होने के बाद पूरी चुनावी प्रक्रिया में हिंसा और गड़बड़ी को लेकर अदालत में तीन जनहित याचिकाएं दाखिल हुई थीं जिन पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बुधवार को चुनाव नतीजे अपने अधीन कर लिए

प. बंगाल: चुनाव नतीजे से पहले शाह से मिले गवर्नर, बोले ‘बसंत दूर नहीं है’!

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सोमवार को दो मौतों की सूचना के साथ, पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव संबंधी हिंसा में हताहतों की कुल संख्या अब तक 38 तक पहुंच गई है।

प. बंगाल: एक दिन चौदह मौतें, TMC के 8874 निर्विरोध प्रत्याशियों के साथ चुनाव सम्पन्न

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जितनी मौतें महीने भर की चुनावी प्रक्रिया में हुई थीं, उतनी ही जानें आज एक दिन के भीतर चली गईं। इस तरह पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में हिंसा की परंपरा इस बार भी बेरोकटोक जारी रही, जो सीपीएम के जमाने से चली आ रही है।

प. बंगाल: पंद्रह लाशों के ढेर पर लोकतंत्र के पंचवर्षीय नृत्य का सज चुका है मंच

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पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव के लिए प्रचार गुरुवार, 6 जुलाई की शाम को समाप्त हो गया। मतदान कल होना है। नतीजे 11 जुलाई को घोषित होंगे। कुल मिलाकर अब तक 15 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। हाइकोर्ट ने मतगणना समाप्त होने के बाद 10 दिनों तक केंद्रीय बलों को राज्य में तैनात रखने का निर्देश दिया है।

बारह साल बाद चुनाव प्रचार करने उतरी मुख्यमंत्री की बाल-बाल बची जान

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बीएसएफ की ओर से एक लिखित स्‍पष्‍टीकरण आया जिसमें उसने ममता के लगाए आरोपों को निराधार करार दिया। अभी तक राज्‍यपाल और हाइकोर्ट के साथ ममता बनर्जी की सरकार टकराव में थी। पहली बार केंद्रीय सैन्‍य बलों पर मुख्‍यमंत्री ने आरोप लगाया है।

प. बंगाल: सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज, तृणमूल ने कहा- यूएन से शांति सेना भी बुला लो!

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पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में सुप्रीम कोर्ट से पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज होने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने इसे विपक्ष की साजिश करार दिया है जबकि भाजपा ने इसे ममता सरकार की नैतिक हार बताया है।